देश में 22 वां और बिहार में पहले स्थान और पहुंचा खोदाबन्दपुर कृषि विज्ञान केंद्र

खोदावंदपुर : बेगूसराय के खोदाबन्दपुर प्रखण्ड में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर अपने कर्मियों के लगन एवं किसानों के सहयोग से उन्नति की शिखर की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। खेती में आधुनिकतम कृषि तकनीक पर बेेेगूसराय के किसानों को प्रशिक्षित करने में कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर लगातार विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है.अपने कार्यक्रमों के बदौलत यह केंद्र देश के 786 कृषि विज्ञान केंद्रों में जहां एक वर्ष पूर्व 461वां स्थान पर था, वह आज 22वां रैंक पर पहुंंचकर प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है.इसकी जानकारी देते हुए केंद्र की वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ सुनीता कुशवाहा ने बताया कि केंद्र किसानों की विकास के लिए सतत प्रयासरत है.उन्होंने कहा जलवायु अनुकूलित कृषि को अपनाने केे लिए प्रोजेक्ट केविके खोदावंदपुर को मिला है.इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत केंद्र द्वारा 600 एकड़ में जीरो टिलेज के माध्यम से गेहूं की बुआई की जायेगी. चेरिया बरियरपुर प्रखंड के बढ़कुरबा गांव में 15 एकड़ भूमि पर धान की प्रभेद राजेन्द्र मंसूरी को लगाया गया है.

अधिक उपजने बाले राहर दाल का होगा परीक्षण यहां के कृषक समूह को केंद्र द्वारा एक बोरिंग की व्यवस्था करवायी गयी है.ताकि किसान अपने फसलों की सिंचाई कराके उक्त भूमि पर फसल का अधिकतम उपज ले सकें और अपनी आय में वृद्धि कर सकें. केंद्र द्वारा शीशा प्रोजेक्ट के तहत गेंहू की जीरो टिलेज पद्दति धान की सीधी बुआई जैसे नवीनतम टेक्नोलॉजी का प्रत्यक्षण 50 किसानों के बीच में किया गया है. समूह प्रत्यक्षण के अंतर्गत 10 हेक्टेयर क्षेत्र में अरहर का उन्नत प्रभेद राजेन्द्र अरहर वन का प्रत्यक्षण लगाया गया है.इस पद्धति से खेती कर किसान दलहन उत्पादन में अत्यधिक उत्पादन कर सकते हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के सहयोग से सिचांई में बना आत्मनिर्भर उन्होंने बताया की पूर्व के वर्षो में केविके के पास सिंचाई के साधनों का अभाव था.परंतु आज माननीय कुलपति केंद्रीय राजेन्द्र कृषि विश्व विद्यालय पूसा के सहयोग से केविके खोदावंदपुर सिंचाई के साधनों में आत्मनिर्भर बन चुका है.विश्वविद्यालय द्वारा केंद्र कि सुरक्षा के लिए चार दिवारी का निर्माण सोलर एनर्जी के माध्यम से सिंचाई के साधनों की आपूर्ति खोदावंदपुर और भेलवा दोनों प्रक्षेत्रो में किया गया है.एक वर्ष पूर्व केंद्र के चक्रीय खाता में राशि का अभाव था.जो आज संसाधनों के विकास केंद्र के ऊर्जावान वैज्ञानिकों की टीम के लगन से 40 प्रतिशत तक उत्पादन में वृद्धि के कारण आज यह दोगुना से भी अधिक हो गया है.जिसके कारण केंद्र अब आंतरिक संसाधनों से विकास की नई इबादत लिखने में सक्षम है।

किसानों को आत्मनिर्भर बनाने को ततपर है खोदाबन्दपुर केवीके प्रशिक्षण केविके का मूल कार्य होता है.इसके तहत लगभग 15000 से अधिक किसानों को जोड़ा गया है. तथा उनके बीच तकनीकों का प्रचार प्रसार भी किया गया है. यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर किसान मशरूम उत्पादन, शहद उत्पादन, डेयरी उद्योग, वर्मी एवं कार्बनिक खाद्य के उत्पादन के क्षेत्र में प्रशंसनीय प्रदर्शन कर रहे हैं.साथ ही स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर हो रहा है. केंद्र द्वारा अजोला उत्पादित कर हरा चारा के स्रोत के रूप में किसानों में प्रचारित किया जा रहा है, ताकि स्वेत क्रांति के के रूप में मशहूर जिला बेगूसराय के पशुपालकों को हरा चारा को कभी कमी न हो सकें तथा दूध उत्पादन के क्षेत्र में मदद मिल सकें.केविके वर्डसएफ माध्यम के ग्रुप से जिले के 1500 किसानों को जोड़कर उनके कृषि एवं पशुपालन संबंधी समस्याओं का निरंतर कर रही है.

आज खेती में कृषि यांत्रिकी का युग है. ऐसे में गत एक वर्ष के अंदर वरीय पदाधिकारियों के सहयोग से केंद्र को आधुनिकतम कृषि यंत्रों से सुसज्जित किया गया है.जिसके माध्यम से केंद्र के प्रक्षेत्र में खेती कार्य में तो लाभ मिलेगा ही इसको देखकर किसान भी अपनी खेती में इसका प्रयोग करेगी. और जरूरत मंद किसानों को यह केंद्र भाड़े पर भी उसे मुहैया करायेगा.केंद्र को प्राप्त दाल मिल के द्वारा दाल के प्रोसेसिंग का कार्य सस्ते दरों पर किया जाता है.जिले के किसान भी अपने उत्पाद का प्रोसेसिंग कर बाजार में अच्छे दाम प्राप्त कर सकते हैं. मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी किसानों के लिए महत्व रखता है.इस क्षेत्र में भी केंद्र के द्वारा संचालित ग्रामीण कृषि सेवा के माध्यम से सप्ताह में दो बार मौसम बुलेटिंग जारी किया जाता है.इस बुलेटिंग को समाचार पत्रों के माध्यम से किसानों को पहुंचाया जाता है।