किसानों की अच्छी दोस्त होती है मधुमक्खियां, शहद देने के साथ पैदावार बढ़ाने में करती है मदद: डॉ. एन. के. सिंह

खोदावंदपुर, बेगूसराय: शहद अपनी मिठास आपके जुबानों में ही नही घोलती है, यह आपसे कई गंभीर रोगों को दूर रख सहदमंद बनाती है, इतना ही नही मधुमक्खी शहद देने के साथ साथ फसलों का उत्पादन क्षमता बढ़ा किसानों को मदद भी करती है, उक्त बातें खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यशाला को उद्घाटन करते हुए डॉ. राजेन्द्र कृषि विश्व विद्यालय पूसा समस्तीपुर के असिस्टेंट डायरेक्टर सह निदेशक डॉ. एन. के. सिंह ने गुरुवार को कही।

उद्घाटन दीप का प्रज्वलित करना अपने आप में ही बड़ा संदेश है: प्रशिक्षण कार्यशाला उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी कार्यशाला का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर करना अपने आप मे एक बड़ा संदेश है । उद्घाटन के दौरान सर्वप्रथम एक दीप जलाया जाना और उस दीप से अन्य दीपों को जलाना यह संदेश देता है कि आप प्रशिक्षण प्राप्त करके जाने के बाद अनेक लोगो को इसके प्रति प्रेरित करें । ताकि जो प्रशिक्षण आप पाकर यहाँ से जाओगे उसका व्यापक प्रचार प्रसार हो और लोग उसे करने के प्रति जागृत हो

शहद प्रकृति प्रदत्त बेशकीमती उपहार है: आगे उन्होंने मधुमक्खी पालन और उसके गुण के बावत कहा कि हद में फ्लेवोनॉयड्स , एन्टीऑक्सिडेंट आदि तत्व भरपूर मात्रा में पाई जाती है जो कैंसर व दिल की बीमारियों को दूरकरने के अलावे शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित करती है, उन्होंने कहा कि सही मायने में शहद प्रकृति प्रदत्त बेशकीमती उपहार है, बाजार में शहद और इसके उत्पाद की बढ़ती मांग के कारण मधु मक्खी पालन अब एक अच्छा व्यवसाय बन गया है। मधुमक्खी पालन उत्पाद के रूप में शहद और मोम आर्थिक अर्थिक दृष्टि महत्वपूर्ण है।

मधुमक्खी पालन रोजगार का अच्छा साधन है: मधुमक्खी पालन कर युवा वर्ग एक तरफ जहां स्वरोजगार कर अपना जीवकोपार्जन कर सकता है, वहीं दूसरी ओर किसानों की फसल उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है, वहीं केंद्र के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ. रामपाल ने प्रशिक्षणार्थी लोगो से कहा कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय लोगों की आमदनी बढ़ाने का अनुकूल जरिया है, लेकिन अशिक्षा और जानकारी के अभाव में अधिकतर युवा वर्ग अन्य व्यवसाय को छोड़कर मधुमक्खी पालन में रुचि नही लेते हैं । लेकिन मधुमक्खी पालन कर हमारे युवा वर्ग इस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं । स्वरोजगार कर बेहतर जिंदगी जी सकते हैं।

मधुमक्खी पालन में कोई समस्या हो तो तुरंत अवगत कराएं: मधुमक्खी पालन का गुर सिखाते हुए प्रशिक्षणार्थी युवाओं से कहा कि मधुमक्खी पालन कर एक तरफ जहां आप स्वरोजगार कर सकेंगे , वहीं परोक्ष रूप से किसानों का भी मदद करेंगे । जिससे किसान भी लाभान्वित होंगे । प्रशिक्षण कार्यशाला में मौजूद मधुमक्खी पालक किसानों का नजीर व वीरपुर निवासी मधुमखी पालक किसान रंजीत कुमार ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि प्रशिक्षण उपरान्त निश्चित रूप से आपलोग मधुमक्खी पालन करें । मधुमक्खी पालन में जहां पर दिक्कतें महशुस होगी । इसकी जानकारी से उन्हें अवगत करावें , निश्चित रूप हम उन्हें मदद करेंगे ।

प्रशिक्षक डॉ. नीरज ने प्रशिक्षणार्थीयो को प्रशिक्षण देते हुए कहा कि मधुमक्खी मुख्यतया दो प्रकार का होता है । पहला तो साधारण मधुमक्खी है , जिसे यत्रतत्र खेत खलिहान बगीचा आदि जगहों पर छत्तनुमा लगा देखा जा सकता है । उसके बाद अधिकतर लोग भी साधारण मधुमक्खी का पालन भी करते है । वही दूसरा रॉयलजरी ( शाहिद मधु ) मक्खी जो ढाई से तीन हजार रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है । इसमें एक रानी मक्खी मादा होती है जो बच्चा देने का काम करती है । वही द्रोण मेल मक्खी होती है जो सिर्फ फटलाइजेशन का काम करता है । जबकि एक श्रमिक मक्खी होती है जो सिर्फ और सिर्फ श्रम करती है । बताते चले कि खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र में 27 से 29 जनवरी तक मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया । जिसका उद्घाटन डॉ. राजेंद्र कृषि विश्व विद्यालय पूसा समस्तीपुर के निदेशक डॉ. ऐन. के. सिंह , वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ. रामपाल ने संयुक्तरूप से दीप प्रज्वलित कर किया । प्रशिक्षण कार्यशाला में वीरपुर और भगवानपुर प्रखंड के 35 प्रशिक्षणार्थी लोगो ने भाग लिया ।