सालों बाद अपने स्वरूप में लौटे कावर झील में मेहमान पक्षियों के आगमन और कलरव से गुलजार हुआ माहौल

मंझौल / बेगूसराय : बेगूसराय जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर मंझौल में स्थित कावर झील जिसे मीठे पानी का उथली झील भी कहा जाता है। इस झील को पक्षी बिहार का दर्जा 1989 ईस्वी में प्राप्त हुआ था। यहां पर जाड़े के मौसम में लाखों की तादात में प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ विदेशी पक्षियों भी आया करती है। हालांकि बीच में झील का पानी सूख जाने के कारण पक्षियों का कलरव सुनने को नहीं मिल रहा था, लेकिन इस वर्ष हुई अतिवृष्टि ने झील में हरियाली ला दी और इसी कारण पक्षियों का कलरव जिले वासियों को इस पर्यटन स्थल पर सुनने को मिलने लगा है।

विदित हो कि जाड़े का मौसम शुरू होते ही देशी पक्षियों के साथ-साथ विदेशी पक्षियों भी यहां पर आना शुरू कर देते हैं . पिछले सालों में इस झील का पानी सूख जाने के कारण प्रवासी पक्षियों में कमी आई तथा इस झील के अस्तित्व खत्म होने के कगार पर आ गई थी . जिसके बाद बिहार सरकार की योजना जल, जीवन, हरियाली, अभियान में इसे शामिल किया गया था तथा काबर को बूढ़ी गंडक नदी से जोड़ने की योजना डीएम अरविंद कुमार वर्मा के द्वारा तैयार करवाया जा रहा है. इस वर्ष हुए अतिवृष्टि ने काबर झील को पुनः जिंदा कर दिया. जाड़े के मौसम शुरू होते ही प्रवासी पक्षियों का आना तथा उनका कलरव करना शुरू हो गया है. जिसको सुनकर 52 शक्तिपीठों में से एक मां जयमंगला के दरबार में श्रद्धालुओं का मन मुग्ध हो जाता है. इस बारे में वन विभाग के गार्ड महिंद्र पासवान ने बताया की अभी विदेशी पक्षियों का आना प्रारंभ नहीं हुआ है .

अभी देशी पक्षियों में सराय,अधनंगी ,लालसर ,डिंगहोच, कारण , के साथ-साथ लगभग 20-25 जातियों की पक्षियों यहां अपना कलरव कर रही है .हालांकि इसमें कुछ प्रजातियां विदेशी भी है ,लेकिन विदेशी पक्षियों का अभी आना शुरू ही हुआ है . पिछले वर्ष कम संख्या में आए थे ,लेकिन इस बार उम्मीद है कि लगभग 50 से ऊपर प्रजातियों की विदेशी पक्षियां इस बार यहां आएंगे . प्रकृति के संतुलन का ही नतीजा है कि शरद ऋतु में दूर देश से विदेशी मेहमान यहाँ भोजन व वंश वृद्धि की आस लिए इस झील का रूख करते हैं.खुशमिजाज मौसम के कारण ही मेहमानों की तादाद बढ़ जाती है और उनके कलरव से पूरा कावर क्षेत्र गुलजार हो उठता है.