डेस्क : त्योहारों का सीजन आने ही बाला है। पुत्रवती स्त्रियों के लिये दीर्घायु संतान के कामना के लिये किया जाने वाला हुन्दू आस्था का महान व्रत जीवित पुत्रिका व्रत या जितिया कहा जाता है। इस व्रत को करने के पीछे शास्त्रीय मत यह है कि इस व्रत को करने से स्त्रियां संतानहीन नही होती और दीर्घायु धन सम्पन्न पुत्र की प्राप्ति होती है यह व्रत आशिन मास के कृष्ण पक्ष में किया जाता है।
मलमास लगने से फेरबदल की बनी स्थिति चुकी इस वर्ष आशिन महीनें में मलमास लग रहा है जिसको लेकर व्रत के निर्णय में तरह तरह की चर्चाओं को लेकर काफी उहफोह की स्तिथि बनी हुई है। ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने कहा कि प्रथम आश्विन कृष्णपक्ष के अष्टमी तिथि में उपवास करना शास्त्र सम्मत एवम परम्परागत है इस वर्ष अंग्रेजी तारीख के अनुसार 9 सितम्बर को पीर दिन सप्तमी तिथि रहेगी अर्थात 9 सितम्बर को नहाय खाय होगा 9 को ही रात्री 9:26:50 pm के बाद अष्टमी तिथि का प्रवेश होगा जो कि गुरुवार 10 सितम्बर को सूर्यास्त के बाद तक रहेगा अर्थात 9 सितम्बर 2020 बुधवार को रात्री 9:27pm के बाद भोजन ,आदि वर्जित रहेगा गुरुवार 10 सितम्बर 2020 को पूरा दिन एवम पूरी रात को व्रत रहेगा शुक्रवार दिनांक-11 सितम्बर 2020 को सूर्योदय के पश्चात जितिया व्रत का पारण करेंगे ।
यह निर्णय मिथिला देशीय विद्वत परिसद के द्वारा एवम कामेश्वर सिंह दरभंगा विशवविद्यालय के द्वारा प्रमाणित है ।
जितिया
नहायखय- 09/09/2020
ओठघन बुधवार रात्रि 9:27 तक
व्रत- 10/09/2020 गुरुवार
पारण-11/09/2020 शुक्रवार समय सूर्योदय के बाद प्रातः काल