21 जून को लगेगा साल का पहला सूर्यग्रहण, 12 घण्टे पहले से बंद कर दे ये काम

डेस्क : इस साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा। इस ग्रहण का असर हर राशियों पर अच्छा और बुरा पड़ सकता है। आपको बता दें कि यह एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है। तब सूर्य ग्रहण होता है। ये सूर्य ग्रहण भारत सहित दक्षिण पूर्व यूरोप, प्रशांत महासागर, अफ्रीका, अमेरिका, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, चीन के कुछ हिस्सों में और हिंद महासागर में दिखाई देगा। मिथिला के क्षेत्र में यह ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र,मिथुन राशि मे लग रहा है।यह खंडग्रास होगा। जो कि यह ग्रहण वलयाकार अर्थात एक कंगन के तरह दिखेगा।

अलग अलग जगहों पर अलग अलग समय में होगा ग्रहण , मिथिला में 10 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा यह सूर्य ग्रहण सभी स्थानों पर अलग अलग समय मे दिखेगा। पृथ्वी से अलग अलग स्थान से देखने सूर्य और पृथ्वी की बीच अलग अलग प्रकार का कोण बनता है इसलिए इसे देखने के समयो में भी अंतर रहेगा। मिथिला के क्षेत्र में यानी गंगा के उत्तरी क्षेत्र में यह सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण की अवधि 3 घंटे 27 मिनट रहेगी।

क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण आपको बता दें कि यह एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा सूर्य और प्रथ्वी के बीच आ जाता है। तब सूर्य ग्रहण होता है। इसके अलावा जब चंद्रमा सूर्य की किरणों को पृथ्वी की सतह पर जाने से रोक देता है तब पूर्ण, आंशिक या फिर वलयाकार ग्रहण लगता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण की बात करें तो इसमें सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक रेखा में ही होते हैं और चंद्रमा सूर्य का मध्य भाग ढक लेता है। ऐसी स्थिति में सूर्य एक रिंग की तरह दिखाई देने लगता है। इसे ‘रिंग ऑफ फायर’ भी कहते हैं। रिंग जैसा तब दिखाई देता है जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होता है जिसकी कारण चांद छोटा दिखाई देने लगता है।

आज रात से शुरू होगा सूतककाल , सूर्यग्रहण के सूतक काल में ये करें ये ना करें . बताते चलें कि आने बाले सूर्य ग्रहण के पहले से ही 12 घंटे पहले सूतककाल शुरु हो जाता है। इसके कारण सूतक काल 20 जून की रात 10 बजकर 25 मिनट से लग जाएगा जो 21 जून को सूर्य ग्रहण के बाद खत्म होगा। सूतक काल के समय कई ऐसे काम होते है जिन्हें करने की मनाही होती है। सूतक काल में प्रेग्नेंट महिलाएं अपने साथ कोई नकुली चीज न रखें। क्योंकि इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। इसके अलावा सूतक काल में खाना, पीना, सोना, पूजा-पाठ करने की मनाही होती है। मंदिर के द्वारा ग्रहण खत्म होने के बाद ही खोले जाते है। ग्रहण काल के स्नान का अपना अलग विशिष्ट महत्व है जिसे तीन भागों में बाटा गया है प्रथम स्पर्श स्नान अर्थात जब ग्रहण प्रारम्भ हो दूसरा ग्रहण स्नान यानी जब ग्रहण का मध्य हो और तीसरा मोक्ष स्नान या उग्र ग्रहण स्नान यानी ग्रहण समाप्त होने पर का स्नान। स्पर्श स्नान के पश्चात ग्रहण के मध्य में हवन देवताओं का अर्चना मंत्र जप एव पाठ शीघ्र सिद्धि प्रदायक होता है।

ग्रहण के अंत मे अर्थात मोक्ष के समय दान करना चाहिए इस दान की पीछे भी पौराणिक कथा है साथ ही विशेष महत्व भी है जिसके अनुसार ग्रहण समाप्ति पर डोम को दान देना चाहिए।

आचार्य अविनाश शास्त्री
ज्योतिषाचार्य सम्पर्क:- 8271569010