पीरियड्स के वक्त औरतों को इस वजह से नहीं रखना चाहिए करवा चौथ का व्रत- जानें दुष्प्रभाव

डेस्क : 13 अक्टूबर को प्रेम, तपस्या और भरोसे का व्रत करवा चौथ है। इस व्रत के लिए महिलाएं पूरे साल इंतजार करती हैं, लेकिन उनका मूड उस वक्त काफी ऑफ हो जाता है, जब व्रत के पहले उन्हें पीरियड्स हो जाते हैं। मन में बहुत सारी आशकाएं भी जन्म लेने लगती हैं। महिलाओं को समझ में ही नहीं आता है कि उस वक्त व्रत करें या ना करें और अगर करें तो कैसे करें। तो इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मासिक धर्म यानी पीरियड्स तो एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे रोका नहीं जा सकता है। हालांकि, हमारे यहां मासिक धर्म के दौरान धर्म ग्रंथों में महिलाओं को पूजा पाठ करने, व्रत करने या फिर पूजा स्थल पर जाने से रोका जाता है।

इसी वजह से पहले जब किसी भी व्रत के दौरान महिलाओं को मासिक धर्म हो जाता है तो उनके मन में बहुत सारे निगेटिव ख्याल भी आ जाते हैं। अब ऐसे में महिलाओं को परेशान, दुखी या भयभीत होने की जरूरत नहीं है। महिलाओं को यह व्रत भी नहीं छोड़ना चाहिए। अगर पीरियड्स हो गए हैं तो ‘कोई बात नहीं’ सच्ची विचारधारा के साथ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उपवास रखना चाहिए। पूजा स्थान से दूर बैठकर करवाचौथ की कथा भी सुननी चाहिए और पूरी पूजा देखनी चाहिए। मन ही मन आप मां करवा, गौरी-शंकर से अपने पति की लंबी उम्र की कामना की प्रार्थना कर सकती हैं, आपको उसमें कोई नहीं रोक सकता है।

हालांकि, पूजा सामग्री नहीं छूनी चाहिए और पूजा स्थल से भी दूर रहना चाहिए। अपने परिवार की किसी महिला या फिर सहेली या किसी रिश्तेदार से पूजा करवानी चाहिए और मन से करवा माता का ध्यान करना चाहिए। सरगी पीरियड्स वाली महिला कर सकती है और निर्जला उपवास भी रख सकती है। पूरे 16 शृंगार करके पूजा का दूर से हिस्सा बन सकती है और अर्ध्य किसी औऱ महिला से दिलवाकर दूर से चांद का दीदार छलनी से कर सकती है। साथ ही अपने पति के हाथों अपना उपवास खोल सकती हैं। दरअसल, ऐसा माना जाता है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के शरीर से बहुत सारी ऊर्जाएं निकलती हैं, जो कि हानिकारक होती हैं। पीरियड्स के दौरान इसलिए महिलाओं को पूजा पाठ करने से रोका जाता है।