30 अगस्त को होगा श्री कृष्णजन्माष्टमी एवं श्री कृष्ण जयंती व्रत, जाने व्रत और पूजन के विधि विधान

न्यूज डेस्क : इस वर्ष भगवान श्री कृष्ण का जन्माष्टमी व्रत अंग्रेजी तारीख के अनुसार 30 अगस्त 2021 को होगा। 30 अगस्त 2021 सोमवार को प्रातः सूर्योदय के बाद रात्रि के 12:20 तक अष्टमी तिथि रहेगी अर्थात अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि बीतेगी 30 अगस्त 2021 सोमवार को ही प्रातः 6:49 के बाद पूरे दिन एवं पूरी रात रोहिणी नक्षत्र रहेगा ।

धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण काजन्म हुआ था तो उस समय ज्योतिषीय मुहूर्त के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र बीत रहा था। इस कारण प्रत्येक वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को लेकर विद्वानों के बीच एवं अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मतभेद होने के कारण 2 दिनों का जन्माष्टमी व्रत हो जाता था । क्योंकि प्रायः रोहिणी नक्षत्र दूसरे दिन होती थी लेकिन बरसो बाद इस प्रकार का संयोग लगा है, कि इस वर्ष 30 अगस्त 2021 सोमवार को मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि भी रहेगी और रोहिणी नक्षत्र भी बीतेगा। इसलिए वैष्णव संप्रदाय के लोग तथा गृहस्थ लोग दोनों का जन्माष्टमी व्रत एवं जयंती व्रत 30 अगस्त सोमवार को ही होगा। धर्म शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा गया है कि-

????।।ये कृता भद्रकृष्णा वै अष्टमी रोहिणी युता।
किं पुनर्बुधवारेन सोमेन च विशेषतः।।????

ब्रह्म पुराण के अनुसार ऐसा कहा गया है कि भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को रोहिणी हो एवं बुधवार या सोमवार हो तो यह योग सोने पर सुगंध जैसा होता है यह मुक्ति मुक्ति के साथ-साथ आनंद एवं ऐश्वर्य दायक होता है अतः इस वर्ष के श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का महत्व इसलिए भी अधिक बढ़ जाता है की श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत है सोमवार को है। संतान की कामना रखने वाले निसंतान स्त्रियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत श्रद्धा भक्ति के साथ अवश्य रखना चाहिए

क्या है विधि आचार्य अविनाश शास्त्री कहते हैं कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत करने वाले को चाहिए कि 1 दिन पूर्व एक भुक्त सात्विक आहार करते हुए शरीर को शुद्ध करें एवं दूसरे दिन अर्थात व्रत के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदी तालाब जलाशय आदि मैं स्नान करते हुए व्रत का संकल्प लें। भक्त अपने मनोकामना के साथ भगवान विष्णु की प्रीति का स्मरण करें। तत्पश्चात पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए अखंड व्रत रखें तुलसी के माले पर ओम नमो भगवते वासुदेवाय इस द्वादश अक्षर मंत्र का जप अथवा ॐ विष्णवे नमः मंत्र का यथासंभव अधिक से अधिक जप करें। श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए रात्रि काल में अर्धरात्रि के समय भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा वह शालिग्राम शिला को पुरुष सूक्त मंत्र से गंगा जल दूध एवं पंचामृत स्नान कराते हुए नवीन वस्त्र यज्ञोपवित केसर तिलक आदि से सुशोभित कर फल मेवा मिष्ठान आदि नैवेद्य अर्पित करते हुए रात्रि जागरण करें। प्रात सूर्योदय के पश्चात स्नानादि से निवृत्त होकर पारण ब्राह्मण भोजन आदि करना चाहिए।