Makar Sankranti 2022 : भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां के सभी त्योहारों की अपनी-अपनी विशेताएँ हैं। लोग एक साथ मिलजुल कर इसारे त्योहार मनाते हैं, यह भाईचारा का भी प्रतीक है। इसी कड़ी में आज से कुछ ही दिन बाद मकर संक्रांति मनाया जाएगा। यह त्यौहार खिचड़ी के चलन से लेकर औरभी कई चीजों के लिए मशहूर है। आज हम आपको इससे जुड़े महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या है मकर संक्रांति
इसे शास्त्रों के दृटिकोण से जाने तो जिस दिन सूर्य भगवान धनु राशि के बाद मकर राशि में आते हैं तो मकर संक्रान्ति मनाया जाता है। मकर संक्रांति अधिकतर जनवरी माह के 14 अथवा 15 तारीख लोग मानते हैं। इस वर्ष यह त्योहार शुक्रवार के दिन 14 जनवरी को मनाया। इस लोग पवित्र नदियों के स्नान कर गरीबों में दान पुण्य करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन तिल के लड्डू और काली उड़द की दाल विशेष तौर पर दान करना चाहिए। वहीं सब ने घर ने उस दिन खिचड़ी ही बनाते और बड़ी प्रसन्नता से खाते हैं। इस वजह से कई स्थानों पर इस त्योहार को खिचड़ी भी कहते हैं।
कहां से शुरू हुई खिचड़ी की प्रथा
इससे जुड़े यह भी कहा गया है की मकर संक्रांति में खिचड़ी खाने की प्रथा बाबा गोरखनाथ के वक्त से आरंभ हुआ था। कहानी यह है कि जिस समय खिलजी के द्वारा हमला किया गया था, उस समय नाथ योगियों को युद्ध के चलते समय के अभाव में भोजन तैयार नहीं कर पाते थे और उन्हें कई दिन तक भूखे ही रहना पड़ता था। तब बाबा गोरखनाथ के द्वारक दाल, चावल और हरी सब्जियों मिश्रण से भोजन तैयार करने को कहा। इसके बाद उन्हें भूखे युद्ध मे नहीं जाना पड़ता था, क्योंकि यह कम समय में बन जाता है। जिसके बाद इस का नाम गोरखनाथ के द्वारा खिचड़ी रखा गया। जब खिलजी से मुक्त होने के उपरांत मकर संक्रांति के दिन ही सभी ने विजय उत्सव मनाया, और सभी योगियों ने खिचड़ी खाया भी और उनके द्वारा इसका वितरण भी किया गया। उसी दिन से इस त्योहार में खिचड़ी खाने व वितरण करने की चलन का शुरुवात हुआ। मालूम हो कि मकर संक्रान्ति उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष गोरखनाथ मंदिर में भव्य खिचड़ी मेला का अयोजन किया जाता है।
खिचड़ी का धार्मिक महत्व
यह भी कहा गया है कि मकर संक्रान्ति में सूर्य भगवान अपने पुत्र शनिदेव के घर प्रस्थान करते हैं। वहीं ज्योतिष की माने तो उड़द की दाल से बने खिचड़ी ग्रहण करने से शनिदेव और सूर्यदेव का आशीर्वाद बना रहता है। इसके साथ ही चावल को चंद्रमा का कारक माना गया है वहीं मक को शुक्र , हल्दी को बृहस्पति इसके साथ ही हरी सब्जियों को बुध का कारक माना जाता है। इसके साथ ही मंगल का संबंध खिचड़ी से उत्पन होने वाली गर्मी से जुड़ा है। इस प्रकार इस त्योहार के दिन खिचड़ी ग्रहण करने पर सभी ग्रहों की स्थिति सामान्य बानी रहती है।