पुरुषों का अधिक मोबाइल चलाना उनकी शादीशुदा जिंदगी को कर सकता है बर्बाद

डेस्क : आज के इस टेक्नोलॉजी से भरी दुनिया में मोबाइल बेहद आम है। दुनिया में ऐसे लाखों लोग हैं, जिनका हर काम मोबाइल के माध्यम से ही होता है। पहले के समय में कीपैड मोबाइल हुआ करती थी और लोग काम के लिए कंप्यूटर पर निर्भर रहते थे। लेकिन आजकल कीपैड के बदले स्मार्टफोन को जगह मिल गई है। इसके कारण नेट भी फास्ट किया गया। ताकि नेटवर्क की समस्या ना हो। कोरोना काल के बाद से बच्चों की पढ़ाई तक मोबाइल से ही हो रही है।

अब कुछ लोग मोबाइल का इस्तेमाल बस काम करने पर ही करते हैं। वहीं, कुछ लोग गेम खेलने, मूवी देखने आदि के लिए करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि मर्दों का अधिक मोबाइल चलाना उनके दांपत्य जीवन के लिए खतरा बन सकता है। एक शोध में पाया गया है कि यह मर्दों को बांझ बनाता है। इसके चलते पुरुषों में स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता में कमी हो रही है।

दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं ने 4,280 स्पर्म यानी कि शुक्राणु के नमूने वाली 18 रिसर्च के विश्लेषण के आधार पर सुझाव दिया कि मोबाइल फोन से जो विद्युत चुंबकीय तरंग निकलती है वह स्पर्म को हानि पहुंचा रही है। इस वजह से जितना हो सके पुरुषों को मोबाइल फोन से कम ही इस्तेमाल करना चाहिए। शेफील्ड विश्वविद्यालय में एंड्रोलॉजी के प्रोफेसर शुक्राणु विशेषज्ञ एलन पेसी ने रिसर्चर्स के निष्कर्ष पर सवाल उठाया है।

उन्होंने कहा कि हो सकता है पुरुषों के लिए आधुनिक जीवन अच्छा ना हो। लेकिन पूरी तरह से यह स्पष्ट नहीं है कि पुरुषों में स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता में कमी मोबाइल के कारण ही हो रही है। पिछले 10 सालों से चली आ रही इस बहस को पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया गया है। अभी इसमें काफी कंफ्यूजन है। लेकिन यदि पुरुषों के लिए परेशानी होती है तो उन्हें सावधानी बरतना चाहिए।

वहीं, पुसान नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर यून हाक की के मुताबिक, पुरुषों को मोबाइल फोन थोड़ा कम यूज करना चाहिए। डिजिटल समय में नए-नए स्मार्टफोन से निकलने वाली चुंबकीय तरंग तरंगे क्या-क्या प्रभाव डाल सकती है, अभी इस पर और अध्ययन की जरूरत है।

कुछ समय पहले जेनेवा के साइंटिस्ट एवं ऑस्ट्रेलिया के एक वर्ल्ड लीडिंग आईवीएफ क्लिनिक ने लगभग 40 हज़ार से अधिक शुक्राणुओं का टेस्ट विश्लेषण करने के बाद दावा किया कि शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी का कारण उम्र का बढ़ना है। जेनेवा के फर्टिलिटी एक्सपोर्ट डॉक्टर शेरिल फुआ ने बताया कि सबसे अधिक शुक्राणुओं की कमी 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में पाई जाती है। इसलिए महिलाओं को भी गर्भधारण करने में समस्या आती है। साथ ही इस स्टडी में पाया गया कि 40 फीसद से अधिक इनफर्टिलिटी के मामले मेल रिप्रोडक्शन से जुड़े हुए हैं।