डेस्क : कोरोना महामारी से एक बार फिर से पूरे देश में हाहाकार मच गया है। एक कहावत के तौर पर एक्सपर्ट्स का कहना है की किसी चीज़ का ज्यादा इस्तेमाल हो जाए तो वह लोगों के लिए हमेशा ही हानिकारक होता है। अब लोग कोरोना से बचने के लिए हर काम कर रहे हैं, वह आयुर्वेदिक काढ़ा बनाकर पी रहे हैं। लेकिन कई अस्पतालों में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहाँ पर काढ़ा पीने से भी परेशानी हो रही है।
डॉक्टर्स का कहना है काढ़ा पीने की वजह से उनके लीवर खराब हो रहे हैं। जिन मरीजों का लीवर खराब मिला है उनकी संख्या 40% है। गिलोय का प्रयोग करने से मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। डॉक्टरों का कहना है की लोग दिन में 5 से 6 बार गिलोय का काढ़ा बनाकर पी रहे हैं जो उनके लीवर को खराब कर रहा है। आयुष मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक़ 1000 ऐसे मामले है जिनमें हर्बल उत्पाद की वजह से परेशानी हुई है। पूरे भारत में 25000 से ज्यादा ब्रांड है, लेकिन सरकार की और से किसी को भी मान्यता प्राप्त नहीं है।
इस कारण भारत के लोगों को परेशानी हो रही है, ज्यादातर लोग वह हैं जो ऐसी खबरें सोशल मीडिया पर पढ़ते हैं और बिना कुछ जानें समझे आयुर्वेदिक दवाइयां बाहर से मंगवा लेते हैं। डॉक्टरों की सलाह है की वह किसी भी नीम हकीम से कोई दवा न खरीदें। सलाह के तौर पर डॉक्टरों का कहना है की लोगों का रहना सहना अब बदल चुका है, ऐसे में उनको अब अलग तरह के इलाज की ज़रुरत होती है। लेकिन वहीं कैंसर और गहरे से गहरा वायरल या इन्फेक्शन आयुर्वेदिक दवाइयों से ठीक नहीं होता। आयुर्वेदिक दवाइयां समय लेती हैं और आज कल का पेशेंट उतना समय नहीं दे पाता जिस वजह से वह दवाएं कारगर नहीं हैं।