धनतेरस कल, इस मुहूर्त में खरीदारी करना शुभ, जानिए इस त्योहार के बारे में सबकुछ

धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है. इस दिन मां लक्ष्‍मी के छोटे-छोट पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है. इस बार दीवाली 27 अक्‍टूबर को है

कब क्या ख़रीदें?

व्यापारियों की मान्यता है कि लक्ष्मी सदैव हिसाब किताब यानी बही खाते में निवास करती हैं। धन त्रयोदशी पर बही खाता यानी पुस्तक खरीदने और उसके पूजन का विशेष महत्व है। बही खाता, चोपड़ा यानी खाता लिखने वाली पुस्तक का क्रय शुभ-चौघड़िया में ही करना चाहिए। धनतेरस पर रजत यानी चांदी खरीदना सौभाग्य कारक माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन खरीदे हुए रजत में नौ गुने की वृद्धि हो जाती है।

धनतेरस कब मनाया जाता है?

धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है. हिन्‍दू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल अक्‍टूबर या नवंबर महीने में आता है. इस बार धनतेरस 25 अक्‍टूबर को है.

धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त

धनतेरस की तिथि: 25 अक्‍टूबर 2019

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 25 अक्‍टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से त्रयोदशी तिथि समाप्‍त: 26 अक्‍टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 36 मिनट धनतेरस पूजा मुहूर्त: 25 अक्‍टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक अवधि: 01 घंटे 05 मिनट

धनतेरस का महत्‍व

धनतेरस को धनत्रयोदशी , धन्‍वंतरि त्रियोदशी या धन्‍वंतरि जयंती भी कहा जाता है. मान्‍यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्‍वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था. भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. भगवान धन्‍वंतरि के जन्‍मदिन को भारत सरकार का आयुर्वेद मंत्रालय ‘राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के नाम से मनाता है.

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्‍मी पूजन करने से घर धन-धान्‍य से पूर्ण हो जाता है. इसी दिन यथाशक्ति खरीददारी और लक्ष्‍मी गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन जिस भी चीज की खरीददारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होगी. इस दिन यम पूजा का विधान भी है. मान्‍यता है कि धनतेरस के दिन संध्‍या काल में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्‍यु का योग टल जाता है ।

ग्रहयोग अगले कुछ वर्षों में चांदी में भारी उछाल का संकेत दे रहे हैं। चांदी के अभाव में ताम्र या अन्य धातुओं का क्रय किया जा सकता है। सोना चांदी और अन्य धातु वृष लग्न में खरीदना चाहिए। कार या बाइक शुभ चौघड़िया, कुंभ लग्न, चर-चौघड़िया या वृषभ-लग्न में क्रय किया जा सकता है। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान शुभ-चौघड़िया उद्वेग-चौघड़िया और कुंभ लग्न में घर लाना शुभ है। म्यूचूअल फंड और शेयर शुभ चौघड़िया, लाभ चौघड़िया और कुंभ लग्न में खरीदना चाहिए। इस दिन हथियार, विस्फोटक सामग्री या अनावश्यक वस्तुएं कदापि नहीं खरीदनी चाहिए।

क्या है चौघड़िया?

सूर्योदय से सूर्यास्त तथा सूर्यास्त से सूर्योदय के मध्य का काल 30-30 घटी यानी घड़ी में मापा गया है। 30 घटी को अष्ट भाग में बांटने पर दिन और रात्रि के 8-8 चौघड़िया प्राप्त होते हैं। प्रत्येक चौघड़िया लगभग 4 घटी का होता है, इसलिए इसे चौ अर्थात चार + घड़िया, घटी, या बेला के नाम से जाना जाता है। इसे चतुर्श्तिका भी कहते हैं।

धनतेरस का चौघड़िया

  • चर चौघड़िया- 6.32 प्रातः से 7.55 प्रातः वाहन, चल संपत्ति के लिए शुभ
  • लाभ चौघड़िया- 7.55 प्रातः से 9.18 प्रातः सोना, चांदी, बर्तन, स्थायी संपत्ति
  • अमृत चौघड़िया- 9.18 प्रातः से 10.42 प्रातः सोना, चांदी, बर्तन, स्थायी संपत्ति
  • काल चौघड़िया- 10.42 प्रातः से 12.05
  • शुभ चौघड़िया- 12.05 दोपहर से 13.28 सोना, चांदी, बर्तन, स्थायी संपत्ति
  • रोग चौघड़िया- 13.28 से 14.52 उ
  • द्वेग चौघड़िया- 14.52 से 16.15 मोबाइल, बिजली के उपकरण
  • चर चौघड़िया- 16.15 से 17.38 वाहन, चल संपत्ति के लिए शुभ
  • रोग चौघड़िया- 17.38 से 19.15
  • काल चौघड़िया- 19.15 से 20.52
  • लाभ चौघड़िया- 20.52 से 22.29 सोना, चांदी, बर्तन, स्थायी संपत्ति
  • उद्वेग चौघड़िया- 22.29 से 24.05 मोबाइल, बिजली के उपकरण

धनतेरस पर महासंयोग,

इस लग्न में करें पूजा धनतेरस इस वर्ष शुक्रवार 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। धनतेरस को यूं तो अबूझ मुहूर्त माना जाता है फिर भी इस बार का धनतेरस बहुत ही शुभ माना जा रहा है। कुछ ज्योतिषी कह रहे हैं कि 100 साल बाद धनतेरस पर बेहद शुभ संयोग बना है। जबकि पंचांग उठाकर देखें तो पाएंगे कि धनतेरस पर महज 3 साल बाद ही वो शुभ संयोग बना है जो बेहद शुभ फलदायी है।

दरअसल कहा जा रहा है कि 100 साल बाद धनतेरस शुक्रवार को शुक्र प्रदोष में मनाया जाएगा। जबकि 2016 में 28 अक्टूबर को धनतेरस मनाया गया था। उस दिन भी शुक्रवार और शुक्र प्रदोष में ही यह त्योहार मनाया गया था।

लेकिन इस साल मनाया जाने वाला धनतेरस और भी शुभ संयोग लेकर आया है। इस साल धनतेरस पर ब्रह्म और ऐन्द्र योग का संयोग बना है। यह संयोग समृद्धि कारक है। इस योग के साथ इस वर्ष सर्वार्थसिद्धि योग भी बना है जो धनतेरस के शुभ मुहूर्त के लिए सोने पर सुहागा है।

शुक्रवार की स्वामिनी देवी लक्ष्मी हैं। ऐसे में धनतेरस के अवसर पर देवी लक्ष्मी और गणेश की चांदी की प्रतिमा, चांदी के बर्तन खरीदना बेहद शुभ फलदायी होगा। धनतेरस के दिन प्रदोष काल में यानी संध्या के कपूर जलाकर देवी लक्ष्मी की आरती पूजन करना समृद्धि और सुखदायक रहेगा। कपूर की आरती सभी कमरे में दिखाएं इससे नकारात्मक उर्जा घर से निकल जाएगी।

अपने शहर की चौघड़िया के लिए कृपया स्थानीय पंचांग देखें। सदगुरुश्री
(स्वामी आनंदजी)

Reference Input- Navbharat Times