27 साल बाद जन्माष्टमी पर बन रहा अद्भुत संयोग,जाने पूजा करने की विधि और मुहूर्त

डेस्क : हिंदू धर्म के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है. यह जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस बार की जन्माष्टमी बेहद ही खास रहने वाली है क्योंकि 27 साल बाद जन्माष्टमी पर एक बेहद अद्भुत संयोग बन रहा है. इस बार की जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाया जाएगा. हालांकि इस बार अष्टमी तिथि 11-12 अगस्त 2 दिन तक रहेगी, इसीलिए कुछ जगहों पर 11 को तो कुछ जगह पर 12 अगस्त को लोग जन्माष्टमी मनाएंगे.

1993 के बाद यानी 27 साल बाद जन्माष्टमी पर पहली बार बुधाअष्टमी और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है. कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है. अष्टमी तिथि तथा रोहिणी नक्षत्र के अंत समय के आधार पर कृष्ण जन्माष्टमी व्रत दो संपूर्ण दिनों तक प्रचलित हो सकता है। हिंदू ग्रंथ के अनुसार लगातार जो दो दिनों तक व्रत करने में समर्थ नहीं है वो जन्माष्टमी के अगले दिन ही सूर्योदय के पश्चात व्रत को तोड सकते हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ-अगस्त ,11 2020 को 09:06
अष्टमी तिथि समाप्त-अगस्त 12,2020 को 11:16
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ- अगस्त 13,2020 को 03:27
रोहिणी नक्षत्र समाप्त- अगस्त 14,2020 को 05:22

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि हम सभी जानते हैं कि जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ. इस कारण इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने का विधान है. सबसे पहले स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करें, पूजा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं, स्नान करने के बाद इन्हें नए वस्त्र पहनाए और इनका श्रृंगार करें, लड्डू गोपाल को मिष्ठान और उनकी प्रिय चीजों से भोग लगाने के बाद गंगाजल अर्पित करें और अंत में भगवान श्री कृष्ण की आरती करें, ऐसा करने से भगवान श्री कृष्ण जल्द ही प्रसन्न हो जाएंगे।