डेस्क: भूमिवाद से निपटने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक नयी पहल की शुरुआत की है, अब आधार नंबर की तर्ज पर जमीन का भी अपना यूनिक नंबर होगा, इसे यूनिक लैंड परसल आईडेंटिफिकेशन नंबर ( ULPIN ) के नाम से भी जाना जाएगा। बता दे की भूमि दस्तावेज को डिजिटल करने के साथ ही उन्हें ऑनलाइन कर दिया गया है। जो सभी बैंकों व सरकारी संस्थाओं के लिए भी आनलाइन उपलब्ध होगा। इससे जमीन के एक ही टुकड़े का कई लोगों के नाम बैनामा कर देने या उसी जमीन पर कई बैंकों से लोन लेना आसान नहीं होगा।
अब जमीन विवाद की गुंजाइश नहीं होगी: बता दे की आधार की तरह अगर जमीन का भी अपना यूएलपीआइएन जारी होने के बाद विवाद होने की संभावना थोड़ी कम हो जाएगी, पहचान नंबर लैटीट्यूड व लांगीट्यूड के आधार पर बनाया जाएगा। पहले गांव को यूनिट मानकर सभी तरह की रजिस्ट्री (बैनामा) में उसे दोहराया जाता था। चौहद्दी के अनुसार, घर का रिकार्ड तैयार किया जाता था, जिस पर विवाद होता रहा है। यूएलपीआइएन से ऐसी गड़बड़ियां रुकेंगी और मुकदमों में कमी आएगी।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा: इस संबंध में जानकारी देते हुए केंद्रीय भूमि संसाधन व ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, की विशेष पहचान नंबर मिल जाने से अचल संपत्ति और जमीनों को लेकर होने वाली धोखाधड़ी कम होगी। बेनामी लेनदेन पर रोक लगेगी, यूएलपीआइएन बगैर जमीन का बैनामा करना या कराना संभव नहीं होगा। जमीनों पर लोन (कर्ज) लेने के लिए कोई गलत बयानी नहीं कर सकेगा। इस पहचान नंबर से ही जमीनों की खरीद-फरोख्त का हर ब्योरा प्राप्त किया जा सकता है।