न्यूज डेस्क : किराये पर मकान लेकर रहने वाले लोगों के सामने अक्सर ये परेशानी आती रहती है कि कोई भी मकान मालिक 3-4 साल से ज्यादा वक्त के लिए किसी किराएदार को रहने देना नहीं चाहते है। इस वजह से बार बार मकान बदलने के झंझट से दो चार होते रहना पड़ता है। वहीं मकान मालिक के मन मे डर रहता है कि अगर लंबे समय तक कोई मकान में रह ले तो उस पर कब्जा कर सकता है। इन्ही परेशानियों की वजह से मकान मालिक और किरायेदार के लिए कुछ कानून बनाए गए हैं।
क्या है कानूनी दायरा कभी भी किराएदार का मकान मालिक की संपत्ति पर मालिकाना हक नही होता है पर कुछ ख़ास परिस्थितियों में किरायेदार अपना हक ज़ाहिर कर सकता है। ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के अनुसार कई बार एडवर्स पजेशन में ऐसा नहीं होता है। जिस पर सम्पति का कब्जा होता है वो उसे बेचने का हक़ रखता है। कई बार अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक किसी सम्पति पर एडवर्स पजेशन रखता है तो उसे सम्पति पर हक़ जताने के अधिकार आ जाता है। अगर किसी व्यक्ति ने अपने किसी जान पहचान वाले को प्रोपेर्टी रहने को दी है और वो 11 वर्ष से ज्यादा वक्त वहाँ रह रहा है तो उस सम्पति पर अपना अधिकार जता सकता है।
कैसे मकान मालिक सुरक्षित रख सकते अपनी संपत्ति का मालिकाना हक अगर कोई मकान मालिक किसी को रहने को प्रोपेर्टी दे तथा वो न चाहे की रहने वाला व्यक्ति प्रोपेर्टी छोड़ कर जाए तो ऐसी परिस्थिति में समय समय पर मकान मालिक को रेंट अग्रीमेंट रिन्यू करवाते रहना जरूरी है ताकि भविष्य में कोई सम्पति को लेकर झंझट का सामना न करना पड़े एवं मालिकाना हक सम्पति पर बना रहे।
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