कोरोना महामारी के बीच धर्मेन्द्र का छलका दर्द, बोले- ‘जो 1952 में हो रहा था… आज ऐसा ही कुछ हो रहा

डेस्क : देश में कोरोना संकट चल रहा है। कोरोना के कारण फैली महामारी से हर कोई परेशान है। इसी बीच बॉलीवुड स्टार्स भी अपना दुःख व्यक्त करते नजर आ रहे हैं। बॉलीवुड में बनने वाली फिमें समाज का आईना पेश करती है। ऐसे में 1952 में आई दलीप साहब की फुटपाथ फिल्म में आज की तरह मिलती जुलती घटना का जिक्र किया गया है। धर्मेंदर ने फिल्म की क्लिप को अपने ट्विटर पर पोस्ट करा है और उसमें लिखा है की ” 1952 में जो हो रहा था आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा है “

कोरोना महामारी की वजह से देश में यह हाल हो गया है की लोगों की लाशें शमशान तक ले जाने में भी लोग कटरा रहे हैं। कई राज्यों से यह खबर आई की नदियों में रेमडीसीवीर इंजेक्शन तैरते मिल रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है रेमडेसिविर की कालाबाज़ारी। बात यहीं ख़तम नहीं होती है बल्कि इंजेक्शन से लेकर ऑक्सीजन सिलिंडर और ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर की भी कालाबाज़ारी करते लोग नजर आए हैं। धर्मेंद्र ने बिलकुल हूबहू तस्वीर अपने पिटारे से निकालकर सोशल मीडिया पर रख दी। वीडियो को देखकर समझा जा सकता है की महामारी का दौर बीते 50 वर्ष में भी एक सामान था और अब भी वैसा ही है।

वीडियो में दिलीप कुमार एक दरोगा के आगे खड़े हैं और अपना गुनाह कबूल करते हुए कह रहे हैं की जब शहर में बिमारी फैली तो हमने दवाइयां छुपा दी और उनके दाम बढ़ा दिए। इसके बाद जब हमें मालूम हुआ की पुलिस छापा मारने वाली है तो हमने वह दवाइयां गंदे नाले में फिंकवा दी। मगर आदमी की अमानत को आदमी के काम नहीं आने दिया। मुझे अपने बदन से सड़ी लाशों की बू आती है और अपनी हर सांस से दम तोड़ती हुई बच्चों की सिसकियाँ सुनाई देती हैं। हम इंसान कहलाने के लायक नहीं। हमको आग में जलाकर हमारी लाशों को गलियों में फेंक देना चाहिए और हमारी लाशों पर उन परिवार के लोगों को थूकना चाहिए जिनके हम गुनहगार हैं।

बता दें की फुटपाथ में मीना कुमारी ने दिलीप कुमार के साथ फुटपाथ फिल्म में काम किया हुआ है। फिल्म के निर्माता जिया सरहदी थे। आजकल धर्मेंद्र अपने विचारो को ज्यादातर सोशल मीडिया पर शेयर करते नजर आते हैं। वह किसान आंदोलन को लेकर भी बयान दे चुके जिसमें उन्होंने हिस्सा नहीं लिया, उनका कहना है की वह इस वक्त किसी मजबूरी के शिकार हैं।