डेस्क : देश में डिजिटल करेंसी के लॉन्च होते ही लोगों के जहन में कई तरह के सवाल भी उठने लगे हैं. सरकार ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी लॉन्च किया है. अब इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी और इसके इस्तेमाल समेत पूरी प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं को खत्म करने का प्रयास किया जाएगा.
वक़्त के साथ इसके दायरे को बढ़ाने की भी योजना है. कहा यह जा रहा है कि आने वाले समय में डिजिटल रुपया देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपने लेन-देन का जरिया बनेगा. इस बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से नोटबंदी जैसा फैसला ले सकते हैं? आइये इससे जुड़े हर सवालों के बारे में आपको हम बताते हैं.
क्या सरकार फिर ले सकती है नोटबंदी जैसा फैसला?
डिजिटल रुपये(करेंसी) के लॉन्च होने के साथ ही लोग यह जानने की भी कोशिशों में जुट गए हैं कि इस फैसले के बाद अब क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या डिजिटल रुपया भारत के भविष्य में पूरी तरह से वर्तमान व्यवस्था का विकल्प बन पाएगा या नहीं? अगर ऐसा हुआ तो क्या सरकार फिर से नोटबंदी की तरह कोई नया फैसला ले सकती हैं?
एक्सपर्ट्स की क्या हैं राय?
बैंकिंग क्षेत्र के कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार हाल-फिलहाल नोटबंदी जैसा कोई भी फैसला नहीं लेगी. डिजिटल रुपया भारत सरकार का एक पायलट प्रोजेक्ट है, इसके अच्छे परिणाम मिलने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा. वहीं इसका दायरा भी तभी बढ़ाया जाएगा जब इससे जुड़ी हर प्रक्रिया पर गहन अध्यन किया जाएगा और अगर इसमें सफलता मिलती है तो ऐसा किया जाएगा.
ग्रामीण क्षेत्रों का क्या लाभ?
डिजिटल रुपया शहरी क्षेत्रों के लिए तो ठीक ही है लेकिन भारत की एक बड़ी आबादी गांवों में निवास करती है. उनके लिए डिजिटल रुपया यूज़ करना और इसकी बारीकी समझना बेहद ही मुश्किल होगा. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में इसके लॉन्च होने की संभावना भी कम है. अगर इसे ग्रामीण इलाकों में लॉन्च भी किया गया तो इस कदम से पहले सरकार को इससे जुड़ी हर प्रक्रिया को अब बेहद आसान करना होगा. ऐसा करने और इसे पूरा होने में अभी काफी समय लगेगा.