आखिर 1 मई को क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस, जानिए इसके पीछे का इतिहास

डेस्क : अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 1 मई मनाया जाता है। जिसे लेबर डे‌ ‌या फिर श्रमिक दिवस के नामों से जाना जाता है। यह उन लोगों की याद में मनाया है जिन्होंने अपने खून-पसीने से देश और दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किसी भी देश, समाज, संस्था और उद्योग के विकास में मजदूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका निभाई हो। मजदूरों और कामगारों की वजह से ही आज दुनियाभर के देशों में विकास हुआ है। किसी भी देश के विकास में वहां के मजदूर का सबसे बड़ा योगदान होता है। ऐसे में यह दिवस उनके हक की लड़ाई उनके प्रति सम्मान भाव और उनके अधिकारों के आवाज को बुलंद करने का प्रतीक है। इस दिन देश की अधिकतर कंपनियों में छुट्टी रहती है। केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। तो आइए जानते हैं कैसे हुई थी मजदूर दिवस की शुरुआत क्या है इसका महत्व व इतिहास

आखिर कब हुआ था मजदूर दिवस की शुरुआत: दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी। इससे पहले यहां के मजदूरों से दिन के 15 घंटे काम लिए जाता था। जिसके खिलाफ 01 मई 1886 के दिन कई मजदूरों अमेरिका की सड़कों पर आ गए और अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने लगे। जिस दौरान पुलिस ने कुछ मजदूरों पर गोली चलवा दी। जिसमें 100 से अधिक घायल हुए जबकि कई मजदूरों की जान चली गयी। इसके बाद पेरिस में 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। तब से ही दुनिया के करीब 80 देशों में मजदूर दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।

भारत में कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत: वहीं, भारत मे इसकी शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई। जब मद्रास हाईकोर्ट के सामने मजदूर किसान पार्टी द्वारा बड़ा प्रदर्शन किया गया और एक संकल्प पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी मजदूर दिवस के तौर पर मनाया जाए और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाए। उस समय भी भारत में मजदूरों की जंग लड़ने के लिए कई नेता सामने आए थे। जिनमें बड़ा नाम दत्तात्रेय नारायण सामंत उर्फ डॉक्टर साहेब और जॉर्ज फर्नांडिस का था।

क्या होता है मजदूर दिवस के दिन: भारत में मजदूर दिवस के दिन कई मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की जाती है। इसके साथ ही अलग-अलग देश के बड़े-बड़े कंपनियों में विभिन्न कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं। व सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों में भी समारोह का आयोजन किया जाता है। हालांकि, इस बार कोरोना काल एवं लॉक डाउन के कारण कोई भी कार्यक्रम तथा गतिविधियां संभव नहीं है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस भी 1 मई को ही मनाने की परंपरा है।