Razia Sultan : रजिया सुल्तान का जन्म 15 अक्टूबर 1205 को हुआ था और वह उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मी थी। उन्होंने अस्त्र-शस्त्र की पूरी ट्रेनिंग ले रखी थी और इसके साथ ही रूढ़िवादिता उनके आसपास भी नहीं दिखाई देती थी। वह कभी भी ना तो दरबार में और ना ही युद्ध के समय अपने चेहरे पर नकाब पहनती थी जबकि वह दरबार में आती तो भी खुले चेहरे के साथ ही आती थी।
वह शिक्षा के महत्व को जानती थी इसलिए जब दिल्ली की गद्दी पर बैठी तो उन्होंने स्कूल, कॉलेज बनवाए और कुएं भी खुदवाएं। विद्वानों और कलाकारों की इज्जत करने के साथ ही वह दिल्ली की पहली महिला शासक भी थी।
उनके पिता शम्स-उद-दिन इल्तुतमिश ने रजिया सुल्तान में एक शासक के गुण देखे और बचपन से ही उसे अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। बेटी ने भी अपने शासन पिता के साथ सहयोगी की भूमिका निभाई और दीनी तालीम भी प्राप्त की।
पिता को अपनी बेटी रजिया पर अपने बेटों से ज्यादा भरोसा था। लेकिन उन्होंने अपना उत्तराधिकारी अपने बड़े बेटे को चुना जिसकी अल्प आयु में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद पिता ने रजिया सुल्तान को दिल्ली का उत्तराधिकारी घोषित किया।
नहीं पसंद आई रजिया की गद्दी
लेकिन मुसलमानों को एक महिला का राज करना बिल्कुल भी पसंद नहीं आया इसलिए रजिया के रास्ते में कई परेशानियां भी आई। लेकिन वह एक बहादुर शासक होने के नाते सभी से भिड़ चुकी थी। वह युद्ध में भी बेनकाब होकर जाती और पिता के साथ दुश्मनों के खिलाफ युद्ध लड़ती। चाहे जनसभा हो या राज दरबार वह हमेशा ही खुले चेहरे में जाती थी और पर्दा प्रथा को उसने कभी स्वीकार नहीं किया।
काफी लोकप्रिय होने के बाद भी पुरुषवादी सोच और मुस्लिम रूढ़िवादिता के चक्कर में उनके सुल्तान बनाने का विरोध किया। इसलिए रजिया के भाई रुखुद्दीन फिरोज को शासक बनाया गया लेकिन वह भी निकम्मा निकला और फिर जन सहयोग से रजिया को दिल्ली की गद्दी पर वापस बैठाया गया।
किसे पसंद करती थी रजिया
इतिहास में कई सारी बातें उनके रिश्ते के बारे में भी लिखी हुई है। कई जगह ऐसा लिखा हुआ है कि रजिया को उसका सहयोगी और घुड़शाल याकूत पसंद था। इन्हीं में एक भटिंडा का राज्यपाल अल्तूनिया भी था। यह बात दरबार से लेकर भारी लोगों के बीच फैल गई थी कि रजिया और याकूत एक दूसरे को पसंद करते हैं। लेकिन यह मुसलमानों को रास नहीं आया क्योंकि याकूत तुर्क नहीं था।
मौका पाते ही अल्तुनीया ने अन्य राज्यपालों के साथ मिलकर हमला कर दिया और युद्ध में याकूत मारा गया। इसके बाद मरने के डर से रजिया ने अल्तूनिया से शादी कर ली। लेकिन कुछ बात ऐसी भी बताई जाती है कि अल्तूनिया को रजिया से शादी करने का मौका चाहिए था और वह हमले की फिराक में भी था।
दिल्ली पर भाई का कब्जा
इस दौरान दिल्ली पर रजिया के भाई मैजुद्दीन का अधिकार हो गया। शादी के बाद रजिया अपनी सल्तनत वापस पाना चाहती थी इसलिए उसने अल्तूनिया के साथ मिलकर दिल्ली पर हमला बोल दिया। लेकिन दोनों ही इसमें नाकाम रहे और वापस लौट गए। वापस लौटते समय कैथल में रजिया और अल्तुनीया का सेना ने साथ छोड़ दिया और उनकी हत्या कर दी गई।
कई जगह इतिहास में लिखा है कि इनकी हत्या राजपूतों ने की, तो कहीं लिखा है कि सैनिकों ने साथ छोड़ा तो डाकुओं ने इन्हे मार दिया। कुछ जगह लिखा मिलता है कि रजिया सुल्तान स्वाभिमानी थी, इसलिए खुद की जान ले ली।
इस प्रकार एक कुशल साम्राज्ञी कम समय के शासन में लोकप्रिय हुई तो एकतरफा प्यार के कारण ज्यादा दिनों तक जिन्दा नहीं रह पाई। इस तरह 1236 में दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद 1240 में उनकी मृत्यु हो गई और रजिया सुल्तान का नाम इतिहास में अमर हो गया।