जब नंगे पांव पद्मश्री पुरस्कार लेने के लिए राष्ट्रपति के पास पहुंचा नारंगी बेचने वाला- तालियों से गूंजा हॉल

न्यूज डेस्क : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। इसी कड़ी में 64 साल के मेंगलुरु के हरेकला हजब्बा (Harekala Hajabba) को भी पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इस दौरान जब कर्नाटक के नारंगी विक्रेता अपना सम्मान लेने के लिए राष्ट्रपति कि पास पहुंचे तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। हरेकला हजब्बा नंगे पांव और साधारण कपड़ा पहनकर राष्ट्रपति के पास पहुंचे थे। वे मेंगलुरु में नारंगी बेचने का काम करते हैं। उन्हें समाजिक कार्य के तहत शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करने के लिए ये पुरस्कार दिया गया है।

66 वर्षीय हजब्बा को एक स्कूल की स्थापना करके ग्रामीण शिक्षा में क्रांति लाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। उन्होंने मंगलूरू के हरेकाला-न्युपदपु गांव में एक स्कूल का निर्माण किया था। इस स्कूल में फिलहाल गांव के आर्थिक रूप से कमजोर और संसाधनों से वंचित 175 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

मैंगलोर शहर से लगभग 40 किमी दूर हरेकला गांव में 66 वर्षीय हजब्बा संतरा बेचते हैं। एक स्कूल की स्थापना करके ग्रामीण शिक्षा में क्रांति लाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। वह अपने व्यापार से पैसे बचाकर गांव के बच्चों के लिए स्कूल बनवाया। गांव में स्कूल नहीं होने के कारण हरकेला की पढ़ाई नहीं हो सकी थी। इसलिए उन्होंने अपने गांव में स्कूल बनवाया। उन्होंने अपने इस प्रयास को साल 1995 में शुरू किया था। 2000 में हरेकला हजब्बा ने अपनी सारी बचत का निवेश किया और एक एकड़ जमीन पर एक स्कूल शुरू किया।

बताते चलें कि देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न के बाद देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कार कोई माना जाता है। यह पद्म पुरस्कार देने का कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे राजनेताओं को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।