क्या है ऐसा युपीए की सेतुसमुद्रम योजना में जो 15-16 वर्षो बाद इसका विरोध हिन्दू संगठन लगातार कर रहे

वर्ष 2005 में जब देश में यूपीए की सरकार थी तभी सेतु समुद्रम परियोजना की शुरुआत की गई थी। यह परियोजना रामसेतु से जुड़ी हुई थी। फिलहाल इस परियोजना पर रोक लगा दी गई है। लगातार पिछले कुछ वक्त से रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने की मांग भी हो रही है। जिस पर मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।

जलमार्ग खोदने के लिए राम सेतु को तोड़ने की योजना बनाई गई सेतु समुद्रम योजना के अंतर्गत 44.9 नॉटिकल मील अर्थात 83 किलोमीटर लंबा एक गहरा जल मार्ग खोदा जाना था।जिसे से पाक जलडमरूमध्य को मन्नार की खाड़ी से जोड़ दिया जाए।जिसके लिए रामसेतु को तोड़ने की योजना भी थी।लेकिन हिंदू संगठनों ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिया।जिस में ना सिर्फ यूपीए सरकार की योजना पर रोक लगाने की मांग की गई। साथ ही साथ रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की भी मांग कर दी गई।

रामेश्वरम से श्रीलंका को जोड़ता है राम सेतु रामसेतु जो कि हिंदुओं के लिए काफी आस्था का विषय है। इसे एडम ब्रिज या आदम का पूल भी कहा जाता है। रामसेतु एक पुल है जो कि तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट पर पत्थर द्वारा बनाया गया है। रामायण महाकाव्य के अनुसार माता सीता को बचाने के लिए श्रीलंका पहुंचने के लिए भगवान श्रीराम व उनकी वानर सेना के द्वारा इस पुल का निर्माण किया गया था जो कि दक्षिण भारत के रामेश्वरम के पास पंबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट पर मन्नार द्वीप तक बना हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है है इसे नेशनल हेरिटेज घोषित करने के लिए एडम ब्रिज या रामसेतू को काफी लंबे समय से राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की जा रही है। भारत के वरिष्ठ नेता व वकील सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि भारत एक धर्म प्रधान राष्ट्र है। भारत में प्रभु श्रीराम और उनका कृतित्व सभी के लिए अमूल्य है।

इसलिए इसे राष्ट्रीय विरासत घोषित कर दिया जाना चाहिए।चूँकि तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने सेतु समुद्रम परियोजना के तहत रामसेतु को तोड़ने की पूरी योजना बना ली और लगभग 892 करोड रुपए खर्च कर दिए हैं, लेकिन ऐसा करना सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने जैसा है जिससे ना सिर्फ परियोजना को बंद कर दिया जाना साथ ही साथ राम सेतु पुल को नेशनल हेरिटेज घोषित कर दिया जाना आवश्यक है।