‘एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो….’ पूरी जिंदगी इसके सहारे कट जाती है

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अनूठा फैसला सुनाया, जिसमें विवाहित महिलाओं के अधिकारों को और बढ़ावा मिला है। फैसला सुनाने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंदू धर्म में विवाहित महिला के सुहाग और सिंदूर की बड़ी अहमियत होती है और समाज उनको उसी नजरिये से देखता है। ऐसे में इसी सिंदूर के सहारे पति से अलग भी रह रहीं महिलाएं अपनी पूरी जिंदगी काट सकती हैं। एक बड़ा कदम उठाते हुए जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने पति के पक्ष में दिए गए तलाक की डिक्री को रद्द कर दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान अदालत को पत्नी की तरफ से पेश अधिवक्ता पुरुषोत्तम शर्मा त्रिपाठी ने बताया था कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विशेष रूप से नोट किया था कि पति के साथ कोई क्रूरता नहीं हुई थी। उसने अपने ससुराल को अपने दम पर नहीं छोड़ा था। हाईकोर्ट का शादी भंग करने का फैसला इसलिए सही नहीं हैं। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि महिला अपनी शादी को बहाल रखना चाहती हैं, वहीं कोर्ट में पति की तरफ से पेश वकील शिशर सक्सेना ने पत्नी के पक्ष के वकील की मांग का खंडन किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18 साल से अलग रह रहे दंपत्ति के लिए साथ रहना अब असंभव हो सकता है, लेकिन जिस तरह से महिलाओं के साथ समाज व्यवहार करता है, उसके देखते हुए विवाह और विवाह की स्थिति की अवधारणा बेहद जरूरी है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के शादी भंग करने के फैसले को रद्द करते हुए महिला की शादी फिर से बहाल कर दी। मौखिक रूप से जस्टिस यूयू ललित ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में यहां की सामाजिक स्थिति को देखते हुए वैवाहिक स्थित महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सबसे खास बात यह है कि पति की तरफ से कहा गया था कि उसने सबकुछ त्याग दिया है और अब साधु बन गया है। वहीं पीठ पत्नी द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के तरफ़ से दी गई तलाक की डिक्री को चुनौती दी गई थी।