डेस्क : भारत ने 13 मई को गेँहू की निर्यात पर रोक लगाने का फ़ैसला किया था ऐसे में भारत के इस कदम से पहले ही भारतीय गेँहू की एक खेप तुर्की के लिए रवाना हो गयी थी ऐसे में तुर्की ने भी प्रतिबंध लगा के भारत के लिए मुश्किल पैदा कर दी। तुर्की ने रूबेला वायरस का हवाला देकर इस खेप को लौटा दिया था और फिर मिस्र ने भी यही किआ।
अब तकरीबन 56000 गेँहू की खेप जो कि तुर्की और मिस्र ने ठुकराई थी वो अब इज़राइल की बंदरगाह में फंसी हुई है। इज़राइल की बंदरगाह में जो खेप फंसी हुई है उसको किधर लेके जाना है इसका फैसला अब तक नही हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक यह कहा जा रहा है कि पैगंबर मोहम्मद के लिए टिप्पणी करने वाली बात से इस कदम को उठाया गया है, लेकिन भारत सरकार ने ऐसी खबरों का सिरे से खंडन किया है। भारत सरकार ने यह कहा कि गेँहू की इस खेप को क्वारंटाइन प्रक्रिया से गुज़ार कर पूरी तरह सुरक्षित तरीके से आईटीसी लिमिटेड ने तुर्की पहुंचाया पर वहां जाके सैंपल में यह पता चला कि गेँहू में प्रोटीन की मात्रा 13-14 मानक कम है क्योंकि तुर्की के लिए गेँहू प्रोटीन की मानक ज्यादा होनी चाहिए इसलिए यह खेप को ठुकरा दिया गया। मिस्र ने तो सैंपल लेने से ही मना करदिया था।
अब यह मामला दोनों देशों के बीच उलझ गया फिलहाल इस गेँहू की कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में 450-480 डॉलर प्रति टन है ऐसे में भारत को नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि इज़राइल बंदरगाह में इतनी भारी मात्रा में गेँहू की खेप यूँ ही पढ़ी हुई है। रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते भारत ने 13 मई को गेँहू की निर्यात पर रोक तो लगा दी थी लेकिन इससे पहले ही यह खेप तुर्की रवाना हो गयी है और अब यह वहां से ठुकरा दी गयी और इज़राइल बंदरगाह में है।