ब्रेकिंग : बरौनी, सीतामढ़ी, धनबाद समेत ये 5 स्टेशन बनेंगे वर्ल्ड क्लास, यात्रियों को मिलेगी एयरपोर्ट की तरह एडवांस सुविधाएं

न्यूज डेस्क : देश के पैमाने पर चर्चित जंक्शन बरौनी जंक्शन को विश्वस्तरीय स्टेशन का रूप दिया जाएगा । स्टेशन पुनर्विकास योजना के तहत पूर्व में चयनित 05 स्टेशनों के अलावा बरौनी जंक्शन सहित सीतामढ़ी, दरभंगा,धनबाद और पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन सहित पूर्व मध्य रेल के इन 05 स्टेशनों का पुनर्विकास कर उसे विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस किया जाएगा।

बताते चलें कि अब तक बेगूसराय,गया,राजेंद्र नगर टर्मिनल, मुजफ्फरपुर एवं सिंगरौली स्टेशनों को वर्ल्ड क्लास के रूप में विकसित करने की पहल शुरू की जा चुकी है। पांच और स्टेशनों के चयन के बाद पूर्व मध्य रेल में अब कुल 10 स्टेशनों का पुनर्विकास कर उसे अत्याधुनिक विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस किया जाएगा। स्टेशनों के पुनर्विकास का कार्य रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आर.एल.डी.ए.) द्वारा किया जाएगा।

वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाये जाने का मुख्य उद्देश्य : पूर्व मध्य रेल हाजीपुर मुख्यालय मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने विभागीय जानकारी देते हुए बताया कि स्टेशन पुनर्विकास का मुख्य उद्देश्य यात्रियों को संरक्षा, बेहतर एवं सुखद यात्रा अनुभव तथा विश्वस्तरीय यात्री सुविधाएं प्रदान करना है।स्टेशन को विश्वस्तरीय एवं अत्याधुनिक सुविधा से सुसज्जित करते हुए स्टेशन को ग्रीन बिल्डिंग का रूप दिया जाएगा।

जहां वेंटिलेशन आदि की पर्याप्त व्यवस्था होगी।रेलवे के जमीन पर मॉल और मल्टीपर्पस बिल्डिंग बनाया जाएगा।स्टेशन का विकास सौर ऊर्जा,ऊर्जा दक्षता उपकरण और ‘हरित इमारत’ मानकों के अनुसार किया जाएगा। रेल यात्रियों के स्टेशन पर आगमन एवं प्रस्थान के लिए प्रवेश और निकास द्वार ऐसे होंगे, जिससे यात्रियों को भीड़-भाड़ का सामना नहीं करना पड़ेगा।स्टेशन पर एक्सेस कंट्रोल गेट एवं प्रत्येक प्लेटफार्म पर एस्केलेटर एवं लिफ्ट लगाए जाएंगे।

ताकि एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर आने-जाने में यात्रियों को सुविधा हो।यात्रियों को प्रदान की जाने वाली आवश्यक सुविधाओं में खान-पान, वॉशरूम, पीने का पानी, एटीएम, इंटरनेट आदि शामिल होंगे।इससे आम यात्रियों के साथ वरिष्ठ नागरिक विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।पुनिर्वकास के क्रम में दिव्यांगजनों के लिए भी सभी सुविधाएं जैसे रैम्प, ब्रेल लिपि इत्यादि प्रदान की जाएंगी ताकि दिव्यांगजन बिना किसी असुविधा के स्वयं भी रेल यात्रा करने में सक्षम हो सकें।