कोरोना की दूसरी लहर के बीच उम्मीद की किरण बनी DRDO की 2-DG दवा, जानें कितना है इसका असर

डेस्क : देश मे ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौत पर अब DRDO की दवा लगाम लगा सकती है। बताया जा रहा है इस दवा के सेवन से ऑक्सीजन की कमी जल्द ही दूर हो जाती है। और मरीजों को बाहर से ऑक्सीजन देने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। देश में संक्रमितों की मरीज का एक अहम कारण है। समय पर ऑक्सीजन ना मिलना। लेकिन, अब इस पर जल्दी-ही लगाम लगेगी। क्योंकि, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक ऐसी दवा बनायी है जो ऑक्सीजन की कमी को दूर करता है।

अस्पताल के परीक्षणों में, यह पाया गया कि 42% रोगी, जिन्हें प्रतिदिन दवा दी गई। उन्हें तीसरे दिन तक ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी। मानक उपचार के तहत, 30% रोगियों को 3 दिन तक ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं रह जाती है। ये दवा मध्यम और गंभीर कोविड मामलों में प्रभावी पाई गई है। और 65 साल से ऊपर के लोगों में भी अच्छी तरह से काम करती है। इसे एक सहायक चिकित्सा के रूप में आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है। दावा किया गया है कि इस दवा के इस्तेमाल के बाद कोरोना संक्रमितों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, यह दवा डॉक्टरों की सलाह के बगैर नहीं ली जा सकेगी।

डीआरडीओ के चेयरमैन सतीश रेड्डी ने कहा : 11 या 12 मई से यह एंटी कोविड दवा मार्केट में उपलब्ध होना शुरू हो जाएगी। शुरुआती समय मार्केट में दवा की कम से कम 10 हजार डोज आ सकती हैं। उन्होंने ये दावा “DD NEWS” के एक कार्यक्रम में किया है। आगे उन्होंने बताया “डीआरडीओ और डॉ रेड्डी लैब द्वारा बनाई जाने वाली इस दवा को डीसीजीआई ने मंजूरी दे दी है। इस दवा के सेवन से ऑक्सीजन पर निर्भर कोरोना मरीज 2-3 दिन में ऑक्सीजन सपोर्ट को छोड़ देंगे। और मरीज जल्दी ठीक होंगे। साथ ही क्लीनिकल टेस्ट से पता चला है। कि यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से रिकवरी में मदद करता है। और बाहर से ऑक्सीजन देने पर निर्भरता को कम करता है। अधिक मात्रा में कोविड मरीजों के 2-डीजी के साथ इलाज से उनमें आरटी-पीसीआर (RT-PCR) नकारात्मक रूपांतरण देखा गया है। यह दवा कोविड पीड़ित लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगी।

किस माध्यम से दवा का सेवन किया जाएगा : बताया जा रहा है कि यह दवा न तो टैबलेट के रूप में है,और ना ही इंजेक्शन के रूप में है। बल्कि, एक पाउडर के रूप में आती है। इस पाउडर को पानी में घोलकर लिया जाता है। दवा लेने के बाद जब ये शरीर में पहुंचता है तो कोरोना संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है। और वायरस को बढ़ने से रोकती है। DRDO की माने तो यह दवा कोरोना संक्रमित कोशिकाओं की पहचान करती है फिर अपना काम शुरू करती है। दवा को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा कोरोना मरीजों के लिए रामबान साबित हो सकती है।

2020 में ही इस दवा पर परीक्षण शुरू हुआ था : मंत्रालय के मुताबिक, 2020 अप्रैल माह से जब कोरोना की पहली लहर में डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस दवा का परीक्षण शुरू किया था। हैदराबाद में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायलॉजी की मदद से किए गए परीक्षण में इसे प्रभावी पाया गया। इसके आधार पर डीसीजीआई की अनुमति से पिछले साल मई से अक्तूबर तक कोविड मरीजों पर दूसरे चरण का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित पाई गई थी। दूसरे चरण के पहले चिकित्सकीय परीक्षण में देश के छह और दूसरे परीक्षण में 11 अस्पतालों को शामिल कर 110 मरीजों पर अध्ययन किया गया। इसके परिणामों के आधार पर नवंबर से इस साल मार्च माह तक तीसरे चरण का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। इस दौरान दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में भर्ती 220 मरीजों को दवा दी गई।

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