राष्ट्रपति के आदेश पर SIT द्वारा खुलेगा The Kashmir Files का पूरा चिट्ठा – दोषियों को सजा तय…

डेस्क : The Kashmir Files पिछले 1 सप्ताह से सोशल मीडिया दो खेमों में बंट गई है। ट्विटर से लेकर फेसबुक तक सिर्फ एक ही मुद्दा का #hashtag चल रहा है, तो वो है, “द कश्मीर फाइल्स”.. बता दे की डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री की इस को एक ओर जहां सकारात्मक रिस्पांस मिल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ नकारात्मक रिस्पांस भी मिल रहा है।

लोग फिल्म में दिखाई चीजों को लेकर बेहद गंभीर दिख रहे हैं, ऐसे में कश्मीरी पंडितों के प्रति न सिर्फ सहानुभूति दिख रही है, बल्कि उन्हें न्याय दिलाने की मांग भी तेज हो रही है। इसी मामले में एक वकील ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे एक पत्र में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार से संबंधित सभी मामलों को फिर से खोलने और कश्मीर घाटी में हत्याओं की घटनाओं की फिर से जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन करने का निर्देश देने की मांग की है।

वकील विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में 1989-1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के मामलों की जांच के लिए उन्हें फिर से खोलने और जांच के लिए एक एसआईटी (SIT) के गठन की मांग की है। जिंदल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि एसआईटी को अब तक दर्ज मामलों की पूरी तरह से जांच करनी चाहिए और पीड़ितों को एक मंच प्रदान करना चाहिए। वकील ने तर्क दिया कि यदि 33 साल पहले हुए सिख विरोधी दंगों से संबंधित मामलों को फिर से खोला जा सकता है और फिर से जांच की जा सकती है। कई लोगों का कहना है की यह जांच बहुत जरूरी है।

तो 27 साल पहले हुए कश्मीरी पंडितों के मामलों को भी फिर से खोला जा सकता है और फिर से जांच की जा सकती है। वकील जिंदल ने पत्र में कहा कि घटनाओं के शिकार लोग शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक आघात की स्थिति में थे और पिछले कई वर्षों से अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे थे और वे अपनी शिकायतों को दर्ज कराने, बयान दर्ज कराने की स्थिति में नहीं थे और इसलिए न्याय के अवसर से वंचित हैं। पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करते हुए जिंदल ने तर्क दिया कि जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि न्याय का दायित्व काफी हद तक पुलिस अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के पास है, जो नरसंहार और नुकसान से बिल्कुल अनभिज्ञ हैं।ऐसे कश्मीरी पंडितों को सरकार और संबंधित अधिकारियों द्वारा एक और मौका दिया जाना चाहिए।