निर्भया कांड के दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी

नई दिल्ली:निर्भया गैंगरेप केस में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। दोपहर 3.30 पर कोर्ट दोषियों के डेथ वारंट पर अपना फैसला सुनाएगी। कोर्ट के जज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात करेंगे।

16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप मामले की सुनवाई के दौरान निर्भया की मां और दोषी मुकेश की मां कोर्ट में ही रो पड़ीं। सुनवाई के दौरान निर्भया की मां के वकील ने कहा कि अब किसी भी दोषी की कोई भी याचिका कहीं भी लंबित नहीं है, ऐसे में दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर देना चाहिए।

बता दें कि इन दोषियों की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट जुलाई 2018 में ही खारिज कर चुका है। इन सभी दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने के लिए भी डेढ साल का समय था। इन चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को पहले से ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है, अब बस इन चारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया जाना है।

जाने कब क्या हुआ था

16 दिसंबर 2012: 23 वर्षीय फ़ीज़ियोथेरेपी छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों ने गैंगरेप किया। छात्रा के पुरुष मित्र को बुरी तरह पीटा गया और दोनों को सड़क किनारे फेंक दिया गया।

17 दिसंबर 2012: मुख्य अभियुक्त और बस ड्राइवर राम सिंह को गिरफ़्तार कर लिया गया. अगले कुछ दिनों में उनके भाई मुकेश सिंह, जिम इंस्ट्रक्टर विनय शर्मा, फल बेचने वाले पवन गुप्ता, बस के हेल्पर अक्षय कुमार सिंह और एक 17 वर्षीय नाबालिग को गिरफ़्तार किया गया।

29 दिसंबर: सिंगापुर के एक अस्पताल में पीड़िता की मौत. शव को वापस दिल्ली लाया गया।

11 मार्च 2013: अभियुक्त राम सिंह की तिहाड़ जेल में संदिग्ध हालत में मौत. पुलिस का कहना है कि उसने आत्महत्या की, लेकिन बचाव पक्ष के वकील और परिजनों ने हत्या के आरोप लगाए।

31 अगस्त 2013: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग अभियुक्त को दोषी माना और तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा.

13 सितंबर 2013: ट्रायल कोर्ट ने चार बालिग अभियुक्तों को दोषी क़रार देते हुए फांसी की सज़ा सुनाई।

13 मार्च 2014: दिल्ली हाई कोर्ट ने फांसी की सज़ा को बरक़रार रखा।

मार्च-जून 2014: अभियुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की और सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला आने तक फांसी पर रोक लगा दी।

मई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट की फांसी की सज़ा को बरक़रार रखा।