Sushmita Sen : भाषा किसी भी व्यक्ति के ज्ञान का परिचायक नहीं होता है। भाषा कम्युनिकेशन का सशक्त माध्यम मात्र है, ज्ञान का मानक नहीं। लेकिन कई लोग अंग्रेजी न आने के चलते आत्मविश्वास तक खो बैठते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, आप ज्ञान के आधार पर आगे बढ़ते है। आज हम एक ऐसी शख्सियत के बारे में बातp करने जा रहे हैं, जिसने बिना अंग्रेजी के ही मिस यूनिवर्स का खिताब अपने नाम कर लिया। तो आइए जानते हैं कि कैसे सुष्मिता ने अंग्रेजी वाले कठिन क्षण को पार कर इस मुकाम तक पहुंची।
महज 18 साल की उम्र में सुष्मिता सेना ने मिस यूनिवर्स का खिताब जीता था। लाखों लोग उन्हें अपना आदर्श मानने लगे। इसके बाद एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में उनका सफर शुरू हुआ। पूरे देश को आज भी उन पर उतना ही गर्व है। समय के साथ-साथ उनकी खूबसूरती भी बढ़ती जा रही है।
फाइनल राउंड में सुष्मिता से पूछा गया, ‘आपके हिसाब से महिला होने का सार (Essence) क्या है?’ इसके जवाब में सेन ने कहा, ‘मेरे लिए महिला होना ईश्वर की ओर से एक उपहार है और सभी को इसकी सराहना करनी चाहिए। बच्चे को जन्म तो मां ही देती है, वह सिर्फ औरत होती है। वह एक आदमी को दिखाती है कि देखभाल करना, साझा करना, प्यार करना क्या है। एक महिला होने का यही मतलब है।’
अंग्रेजी में उलझ गई थी सेन
क्या आप जानते हैं सुष्मिता ने उस सवाल का जवाब देकर रचा इतिहास, जो उन्हें समझ नहीं आया। बेटी अलीशा की स्कूल मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुष्मिता ने चौंकाने वाला खुलासा किया। सुष्मिता ने बताया कि उन्हें वह सवाल ठीक से समझ नहीं आया।
सुष्मिता सेन ने कहा, ‘मैं हिंदी मीडियम स्कूल से थी और उस समय मेरी अंग्रेजी इतनी अच्छी नहीं थी। मुझे नहीं पता कि मैं Essence का अर्थ कैसे समझ पाया और मैंने उस प्रश्न का इतनी स्पष्टता और अनुभव के साथ उत्तर कैसे दिया, जब मैं केवल 18 वर्ष का था। मुझे लगता है कि भगवान मेरी जुबां पर बैठे हैं और उन्होंने तय कर लिया होगा कि इसे ही बुलाना है और ऐसे ही अपनी जिंदगी जीनी है।
सुष्मिता ने बताया कि उस जवाब के आधार पर आज भी वह अपनी जिंदगी जीती हैं। और स्त्री का जन्म परमात्मा की ओर से दिया गया सबसे सुंदर उपहार है। जीवन का हमेशा सम्मान करना चाहिए। सुष्मिता ने कहा कि एक महिला सिर्फ मां बनने के लिए पैदा नहीं होती, वह दुनिया को प्यार करना, देखभाल करना और शेयर करना सिखाने के लिए भी पैदा होती है।