बिहार के लाल ने स्विट्जरलैंड में नौवीं बार बने आयरन मैन, देश का परचम लहराने वाले अकेले भारतीय

न्यूज डेस्क : स्विट्जरलैंड में आयोजित वर्ल्ड ट्रायथलॉन कॉरपोरेशन प्रतियोगिता में सत्यम शंकर सहाय ने आयरनमैन ट्रायथलॉन का खिताब जीतकर दुनियाभर में भारत और बिहार का मान बढ़ाया है। बताते चलें कि इस प्रतियोगिता को जीतकर सत्यम नौवीं बार आयरनमैन बन गए। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस प्रतियोगिता को दुनिया के सबसे कठिन प्रतियोगिताओं में से एक माना जाता है। सत्यम ने इस प्रतियोगिता को 13 घंटे 18 मिनट में पूरा कर लिया। गले में आयरनमैन स्वीटजरलैंड का मैडल पहने सत्यम दिल्ली में एक शिक्षण संस्था चलाते हैं, जिसकी दिल्ली सहित देशभर में 16 शाखाएं हैं। सिर्फ इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वह स्विट्जरलैंड के थुन गए थे।

इतना कठिन होता है यह प्रतियोगिता: 5 सितंबर को स्विट्जरलैंड में आयोजित इस प्रतियोगिता में एक ही दिन में 3 तरह के इवेंट को आयोजित किया जाता है। जिसमें इस इवेंट को जीतने के लिए प्रतिभागी को 17 घंटे के अंदर कार्य करना पड़ेगा तभी आयरनमैन का प्रमाणपत्र मिलता है। जिसमे, पहला 3.8 किलोमीटर की तैराकी और दुसरा 180 किलोमीटर की साइकिलिंग और अंत में 42.1 किलोमीटर की मैराथन दौड़, लेकिन इस प्रतियोगिता में बिहार के लाल सत्यम ने तीनों इवेंट को जीतकर उन्होंने मात्र 13 घंटे 18 मिनट में पूरा कर लिया। और देश के लिए अपने मैडल जीत लिया।

आयरनमैन बनने तक का कैसा रहा सफर: सत्यम बताते हैं” प्रतियोगिता में आयोजित 180 KM की साइकिलिंग में करने में थोड़ी कठिनाई हुई। चुकी: पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण काफी कठिन था। वही तैराकी में झील के पानी का तापमान 16 डिग्री होने के कारण काफी मुश्किल था। इसके पहले दूसरे देशों में हुई प्रतियोगिताओं में वह समुद्र में भी तैराकी कर चुके हैं। सत्यम आगे बताते हैं, वह नियमित रूप से साइकिलिंग और दौड़ करते हैं। इसके लिए वह एक सप्ताह में 14 से 15 घंटे का समय देते हैं। दिल्ली या नोएडा जैसे शहरों में भी वह फ्री होकर साइकिलिंग या दौड़ नहीं कर पाते हैं। विदेश की तरह सुविधा तैयार होने में भारत में कई साल लग जाएंगे। वह 2017 से इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं।

क्या है आयरनमैन ट्रायथलॉन? जानकारी के लिए आपको बता दे की यह प्रतियोगिता ट्रायथलॉन तीन खेल का एक समूह है जो सबसे पहले तैराकी, साइकिलिंग और मैराथॉन एक साथ बिना रुके किया जाता है। इसमें भाग लेने वाले को ट्रायथालेट्स कहा जाता है। जो की फ्रांस में 1920 में इसकी शुरुआत हुए थी। ये खेल यूरोपियन देशों में शुरू किया गया, लेकिन भारत में 1990 के बाद आया। वर्ष 2000 में ओलिंपिक में भी जगह दी गई।