Sachin Tendulkar’s Family : भारतीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर ने एक अलग छाप छोड़ा है। सचिन तेंदुलकर एक ऐसे बल्लेबाज रहे हैं जिन्होंने आने वाली पीढ़ी को राह दिखाया है। इनके लिए कहावत बिल्कुल सटीक बैठता है कि ‘है वही सूरमा इस जग में जो अपनी राह बनाता है कोई चलता पदचिह्नों पर, कोई पदचिह्न बनाता है।’ सचिन तेंदुलकर ने पदचिह्न बनाया है जिस पर कई खिलाड़ी चलकर देश दुनिया में नाम कमा रहे हैं। आज हम महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर से जुड़े किस्सों को ताजा करेंगे। तो आइए सचिन तेंदुलकर की सफलता मंत्र में हम डूबते हैं।
एक 16 साल, 205 दिन का लड़का… ये वो उम्र थी जब 15 नवंबर 1989 को जीवन में पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए खेल के मैदान पर उतरा। टेस्ट क्रिकेट में वो मैच कराची के नेशनल स्टेडियम में खेला जा रहा था। सचिन ने उस मैच में 24 गेंदों का सामना किया था, जिसमें वह 15 रन बनाकर वकार यूनुस की गेंद पर बोल्ड हो गए थे।
क्या उस समय किसी ने सोचा होगा? 16 साल का ये बच्चा आने वाले दिनों में क्रिकेट का महान बल्लेबाज बनेगा, भारत की शान, दुनिया भर के खिलाड़ियों की जान और जिसे क्रिकेट का भगवान कहा जाएगा… क्या ये बनेगा मास्टर ब्लास्ट सचिन तेंडुलकर? सचिन ने क्रिकेट के आसमान को अपनी तरफ झुका लिया. अपने खेल का हर किसी को दीवाना बना दिया। सचिन की एक-दो कहानियां ऐसी नहीं हैं, जिन्हें पढ़ने या सुनने में पूरी दुनिया दिलचस्पी दिखाती है।
सचिन का जन्म और बचपन सपनों की नगरी मुंबई में हुआ, मुंबई में उन्होंने बल्ला थामा और चौके-छक्के लगाकर वानखेड़े स्टेडियम को दीवाना बना दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सचिन तेंदुलकर वडापाव को बहुत पसंद करते हैं। खासकर उन्हें मुंबई के दादर का वडापाव पसंद है, वो भी शिवाजी पार्क के बाहर जब सचिन क्रिकेट की प्रैक्टिस करने आते थे तो एक दादा के वडापाव के दीवाने हो जाते थे।
कहा जाता है कि सचिन दादा की दुकान में बनने वाले वड़ापाव को कई वड़ापावों में से पहचानते थे। कहा तो यह भी जाता है कि सचिन न सिर्फ खाने के शौकीन हैं, बल्कि बेहतरीन कुक भी हैं। उनके हाथों में जादू है। एक छोटे से इंसान में न जाने कितने गुण मौजूद होते हैं। वाह सचिन रमेश तेंदुलकर, जिसने अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया को जीत लिया।