अब Vande Bharat Express की तरह दिखेगी राजधानी- शताब्दी एक्सप्रेस, यात्रियों को मिलेगी बेहतर सुविधा..

डेस्क : भारतीय रेलवे इन दिनों प्रगति की ओर अग्रसर है, रेलवे द्वारा लगातार विभिन्न ट्रेनों को डिजिटलीकरण किया जा रहा है, ऐसे में अब जल्द ही भारत की दो महत्त्वपूर्ण प्रीमियम ट्रेन यानी राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस को देश की सबसे हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत की तरह मॉडिफाई किया जाएगा।

आपको बता दें कि अभी फिलहाल बंदे भारत एक्सप्रेस में कुर्सीयान (चेयरकार) कोच लगाया गया है, लेकिन अब रेल मंत्रालय शयन (स्लीपर) सुविधा वाली वंदे भारत ट्रेन दौड़ाने की तैयारी कर रहा है। वर्तमान समय में वंदे भारत एक्सप्रेस में तकनीक में प्रत्येक कोच में अपना खुद का इंजन है और पृथक ब्रेकिंग सिस्टम है। इसलिए ट्रेन के आगे इंजन लगाने की जरुरत नहीं होती है।

सेल्फ प्रोपेल्ड इंजन (एसपीई) तकनीक की मदद से वंदे भारत ट्रेन का एक्सेलरेशन-डीसेलरेशन बहुत तेज होता है। जबकि, राजधानी एक्सप्रेस में इंजन ट्रेन को खींचता और ब्रेक लगता है। इस तकनीक से वंदे भारत की औसत तीन से चार घंटे बढ़ जाती है। जिससे वंदे भारत की अधिकतम रफ्तार बढ़ाए बगैर गंतव्य समय से तीन घंटे पहले पहुंचाया जा सकता है। हालांकि, इसका डिजाइन 160-180 Kmpl (सेमी हाई स्पीड) के लिए किया गया है। अधिकारी ने बताया कि स्लीपर वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एल्युमिनियम धातु से बनाई जाएंगी।

जिससे यह हल्की और कम ईधन खपत वाली होंगी। यात्री सुरक्षा व सुविधा के मामले में विश्व स्तरीय होगी। यूरोपियन तकनीक वाली इस ट्रेन के दरवाजे प्लेटफार्म पर रुकने के बाद ऑटोमेटिक खुलेंगे। प्लेटफार्म व कोच के बीच का गैप शून्य होगा। जिससे ट्रेन व प्लेफार्म के बीच यात्रियों के फंसने की घटनाएं थम जाएंगी। वंदे भारत ट्रेन का उत्पादन चैन्नई स्थित इंटीग्रिल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ), मॉडल कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) रायबरेली, रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) कपूरथला, लाथूरू कोच फैक्ट्री आदि में किया जाएगा।

इस स्लीपर कोच में लंबी एलईडी लाइट ट्यूब लगी होंगी। कोच में एक विकलांगों के लिए एक व्हीलचेयर रखी जाएगी। दो कोच के बीच गैप नहीं होने से व्हीलचेयर को चलाने में दी दिक्कत नहीं होगी। रेल मंत्रालय मार्च या अप्रेल माह में 200 शयन वंदे भारत एक्सप्रेस बनाने के लिए टेंडर जारी कर देगा। इसमें 24 हजार करोड़ की लागत से साढ़े तीन हजार कोच तैयार किए जांएगे। वंदे भारत स्वदेशी तकनीक से विकसित है और इसे भारत में ही बनाया जाएगा।