काम में हुई गड़बड़ी के लिए इस शख्स के आगे झुकना पड़ा रेलवे को, 2 रूपये की लड़ाई में मिला 2.43 करोड़

डेस्क : सरकारी कामों में गलतियां होना आम बात है कुछ लोग इन गलतियों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने हक की चीज बिल्कुल भी नहीं छोड़ते। रेलवे ने एक ऐसे ही वक्ति से पंगा लिया और इस शख्स के ₹35 के चलते रेलवे को करोड़ों का हर्जाना भरना पड़ा। आइए जानते हैं पूरा मामला –

राजस्थान कोटा के रहने वाले सुरजीत स्वामी नाम का एक व्यक्ति के चलते तीन लाख लोगों को फायदा हुआ। सुरजीत पेशे से एक इंजीनियर है। हालांकि, लोगों को कोई बड़ी रकम तो नहीं मिली लेकिन रेलवे का जरूर करोड़ों का नुकसान हुआ। सुरजीत स्वामी ने अपने ₹35 के चलते रेलवे से 3 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी और अंत में उसकी जीत हुई।

दरअसल, साल 2017 में अप्रैल में ही इसी दिन सुरजीत ने स्वर्ण मंदिर मेल में कोटा से दिल्ली तक का रेलवे टिकट बुक किया था। जिसके बाद जुलाई से जीएसटी के नए कानून व्यवस्था लागू कर दी गई थी। सुरजीत ने इससे पहले ही अपने टिकट कैंसिल कर लिए थे। उनके टिकट की प्राइस ₹765 थी जिसमें ₹100 की कटौती करने के साथ 665 रुपए उन्हें वापस दिए गए।

सुरजीत के मुताबिक ₹100 नहीं, बल्कि ₹65 काटने चाहिए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि सेवा कर के रूप में उनसे ₹35 की अतिरिक्त राशि वसूली गई थी। हालांकि माल और सेवा कर जीएसटी लागू होने के पहले उन्होंने टिकट कैंसिल कर दिया था। सुरजीत का दावा है कि इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन आईआरसीटीसी ने उनके जवाब में कहा था कि 2.98 लाख उपयोग कर्ताओं को ₹35 वापस प्रत्येक टिकट पर मिलेंगे। जो कुल 2.43 करोड़ रूपए हैं। उन्होंने कहा कि अपने ₹35 पाने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री, रेल मंत्री, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, जीएसटी परिषद और वित्त मंत्री को बार बार टैग कर ट्वीट किया। जिसने 2.98 लाख उपयोगकर्ताओं को ₹35 वापस दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
सुरजीत स्वामी ने अपनी लडाई की शुरूआत रेलवे और वित्त मंत्रालय को आरटीआई आवेदन भेजकर की। जिसमें उन्होंने अपने ₹35 वापस किए जाने की मांग की थी। इसके बाद आरटीआई से उन्हें जवाब भी मिला था कि उनके ₹35 वापस कर दिए जाएंगे। अभी बात यहीं खत्म नहीं होती है। सुरजीत के मुताबिक साल 2019 में उन्हें पैसे वापस तो मिले लेकिन इसमें भी ₹2 की कटौती की गई थी। यानी कि ₹35 के बदले ₹33 उन्हें मिले। फिर क्या… सुरजीत भी पीछे हटने वालों में से नहीं थे। उन्होंने अपने ₹2 के लिए अगले 3 साल तक लड़ाई लड़ी और अंत में उनकी जीत हुई और उन्हें उनके दो रुपए वापस मिले।
स्वामी के मुताबिक, आईआरसीटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें सूचित करते हुए कहा था कि सभी उपयोगकर्ताओं को 35 रुपए जो कि कुल 2.98 लाख रुपए को रेलवे ने वापस करने की मंजूरी दे दी है और पैसा जमा करने की प्रक्रिया चल रही है। उनका कहना था कि सभी यात्रियों को धीरे-धीरे उनके पैसे दे दिए जाएंगे। वही सुजीत स्वामी के मुताबिक अपने पैसे वापस मिलने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री की और फंड में ₹535 दान कर दिए।