बुजुर्ग दंपती को लोअर बर्थ न देना रेलवे को पड़ा भारी… अब 3 लाख रुपया मुआवजा देने का आदेश

न्यूज डेस्क : रेल विभाग दिव्यांग और बुजुर्ग लोगों को विशेष सुविधा प्रदान करने का दावा करता है। रेलगाड़ी के आरक्षित कोच में सफर कर रहे यात्रियों को रात में गन्तव्य पर पहुचाने और सतर्क करने का भी बात कहा जाता है। लेकिन रेल के कर्मचारियों द्वारा कई बार इन नियमों के पालन में कमी देखी जाती है। ऐसा ही एक मामला आया है जिसमें बुजुर्ग और दिव्यांग दम्पत्ति को लोअर बर्थ नहीं उपलब्ध कराने और गन्तव्य से करीब सौ किलोमीटर पहले उतारने का मामला सामने आया है।

रेलवे के द्वारा यात्री के सेवा में लापरवाही किये जाने के इस मामले की सुनवाई में रेलवे को जिम्मेदार माना गया और तीन लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश किया गया। हालांकि इस आदेश के खिलाफ रेलवे ने रास्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के दरवाजे को खटखटाया। लेकिन रेलवे को यहां से भी निराशा हाथ लगी। राष्ट्रीय आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम और राज्य उपभोक्ता फोरम के आदेश को सही ठहराते हुए मुआवजा देने की बात कही। रास्ट्रीय आयोग ने कहा कि फोरम का आदेश साक्ष्य पर आधारित है। हर पहलू पर विचार करके ये आदेश दिया गया है। राज्य आयोग ने भी फोरम के फैसले को हर एंगल से सही ठहराया है। फैसले में कानून का पालन है । रास्ट्रीय आयोग ने रेलवे की याचिका को आधारहीन बताया और खारिज कर दिया ।

क्या था पूरा मामला यह मामला कर्नाटक का है। जहां 2010 में एक बुजुर्ग दम्पत्ति के साथ घटित घटना है। बुजुर्ग दम्पति में से एक दिव्यांग भी शामिल थे । कर्नाटक में शोलापुर से बिरूर जाने के लिए बुजुर्ग दम्पति ने थर्ड एसी में दिव्यांग कोटे से टिकट कटाया। उन्हें रेलवे ने लोअर बर्थ नहीं अलॉट कर सका। बुजुर्ग दम्पत्ति ने टीटीई से भी लोअर बर्थ देने का आग्रह किया। लेकिन टीटीई ने भी बुजुर्ग दम्पति को लोअर बर्थ मुहैया ना करा सका । जिसके बाद वही एक अन्य यात्री ने अपना लोअर बर्थ उक्त दम्पति को दिया था। इसी मामले में रेलवे को तीन लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश हुए हैं ।