डेस्क : झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि राज्य सरकार कठोर निर्णय लेने पर विचार कर रही है जिसके तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे को ही सरकारी नौकरी मिलेगी। शिक्षकों को 95 फ़ीसदी गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त रखने की पहल की जा रही है। अब शिक्षकों को सिर्फ बच्चों की शिक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित करना है शिक्षा मंत्री ने मंगलवार को नावाडीह के भूषण उच्च विद्यालय परिसर में सरकारी शिक्षकों एवं पारा शिक्षकों के साथ खुली परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सभी विद्यालयों में हेड मास्टर का पद शीघ्र भरा जाएगा इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है सभी पंचायत में मॉडल स्कूल की स्थापना की जाएगी। पारा शिक्षकों का मानदेय 1 सप्ताह के अंदर भुगतान किया जाएगा। कोरोना के कारण कोषागार बंद रहने से पारा शिक्षकों के मानदेय भुगतान में विलंब हुआ है। इस परिचर्चा में शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों से कहा कि आप बच्चों के भाग्य विधाता हैं झारखंड और बच्चों का भविष्य संवारने का काम करें।शिक्षा विभाग ने पुस्तकों को बच्चों को पुस्तके उपलब्ध करा दी हैं शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को शिक्षा रूपी ज्ञान दें मैं बंद कमरे में फरमान नहीं देना चाहता यही वजह है कि खुली परिचर्चा कर रहा हूं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर बच्चे पर वार्षिक लगभग 20-25 हजार रुपये खर्च करती है.निजी स्कूलों से अधिक वेतन शिक्षकों को वेतन दे रही है इसके बावजूद निजी विद्यालयों में नामांकन के लिए लंबी लाइन है. शिक्षक अभिभावकों की मानसिकता बदले. सरकारी स्कूलों में बच्चों को गुणवंता दें तभी निजी विद्यालय में से मोहभंग होगा. उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को ही राज्य में सरकारी नौकरी देने पर विचार किया जाएगा, इस पर विचार विमर्श किया जा रहा है। साथ में उन्होंने कहा कि लोग निजी विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाते हैं और नौकरी सरकारी खोजते हैं ऐसे में यह कैसे संभव है?उन्होंने कहा कि मंत्री से लेकर अधिकारी के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ेगे तभी सरकारी स्कूल की व्यवस्था में सुधार हो सकता है। इसके साथ ही शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस विषय पर मेरे द्वारा विचार विमर्श कर इस दिशा में काम करने के लिए प्रयास किया जाएगा।