7 जनवरी के दिन न्यायपालिका का वो फैसला जिसने इंदिरा गांधी के हज़ारो समर्थकों के ज़ख्म को भरा..

डेस्क: इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी जो न सिर्फ़ देश की तीसरी व प्रथम महिला प्रधानमंत्री रही। साथ ही एक ऐसी शख्सियत जो देश पर दो दशक तक राज किया। भारत में प्रारंभिक राजनीतिक काल से ही महिलाओं की भागीदारी काफी सक्रिय रही है। परंतु किसी महिला का दो दशक तक देश पर राज करना वो भी लोकप्रिय बन कर ये काफी बड़ी उपलब्धि है। इंदिरा गांधी की टक्कर की शख्सियत बन पाना काफी मुश्किल है।

लेकिन, कुछ पन्ने, कुछ समय, कुछ दिन राजनीति की कालिख हो जाते हैं। ऐसा ही दिन था 31 अक्टूबर 1984 का जब इंदिरा गांधी के अंगरक्षक सतवंत सिंह, बेअंत सिंह ने इनकी हत्या कर दी और इसका षड़यंत्र रचा कहर सिंह ने। और आज का ही वो दिन तज जब न्यायपालिका ने न सिर्फ इन्दिरा गांधी बल्कि इनके समर्थकों के दिल के गुफाम को कम किया था। सतवंत सिंह व कहर सिंह को आज ही सजा ए मौत की सजा सुनाई। वही बेअंत सिंह को हमले के वक़्त ही सुरक्षाकर्मियों ने मार दिया था।

अमृतसर का वो घाव जो बन गया इंदिरा गांधी की मौत का बारूद: इंदिरा गांधी के कार्यकाल के बड़े राजनीतिक फैसलों में से ऑपरेशन ब्लू स्टार रहा। जो की इनके हत्या होने की वजह भी बनी। क्योकि इसी से नाराज़ होकर सिखों ने बदले की नियत से इंदिरा गांधी की हत्या की। वर्ष 1984 के पन्नो को अगर पलटा जाए तो आज भी इसकी कहानी हर सिख की जुबानी अलग अलग सुन ने को मिलेगी। ऑपरेशन ब्लू स्टार के होने की वजह में केंद्र में सिर्फ एक नाम था, जनरैल सिंह भिंडरावाले कहा जाता है कि जनरैल सिंह कांग्रेस की उस उपज का नतीजा था जिसमे पंजाब में अकेली दल को कमजोर कर अपनी राजनीतिक राह को मजबूत करना था। पर अंततोगत्वा कई सारे छोटे छोटे मुकामों को पार करते हुए यह इंदिरा गांधी की मौत और साथ ही लाखो निर्दोष सिखों पर हुए जातती पर आकर थमा।

पंजाब का वो काला दौर था: जब 3 जून की भारतीय सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को घेर लिया। पूरा पंजाब उस दिन गोलियों से थर्राया था। अकाल तख्त, सिख पुस्तकालय सब बर्बाद हो गए। सरकारी आंकड़ों में तो सिर्फ 83 सैनिक मारे गए 249 घायल हुए। वही 493 चरमपंथी और आम नागरिक मारे गए। जबकि सच्चाई में तो हज़ारो की संख्या में लोग मरे और लाखों लोग घायल व बेघर हुए। इसका असर न सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे देश पर हुआ था। इंदिरा गांधी की हत्या के 5 वर्ष बाद 6 जनवरी 1989 को तिहाड़ जेल में दोनों दोषियों को फांसी दी गई।फांसी के बाद जेल प्रशासन ने ही अंतिम संस्कार किया। जन आक्रोश के डर से ही शव को भी परिजनों को नहीं दिया गया।

गूंगी गुड़िया कही जाने वाली इंदिरा न सिर्फ आयरन लेडी बल्कि फैशन आइकॉन भी थी: इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व काफी आकर्षक रहा है। ऐसा कहा जाता है कि राजनीति के शुरुआती दिनों में वो सार्वजनिक तौर से बोलने पर काफी घबराती थीं । वो इतना कम बोलती थी कि कई बार ससद में राम मनोहर लोहिया ने उन्हें गूंगी गुड़िया तक कह दिया, व्यक्तिगत तौर पर इंदिरा गांधी का पहनावा काफी साधारण सा था। पर वो अपने लुक्स की वजह से काफी प्रसिद्धि पाती रही।फैशन स्टेटमेंट की तरह उनका लुक भी कॉपी किया जाता रहा।

देश की समृद्धि व विकसित होने की तरफ इंदिरा गांधी ने कई सराहनीय कदम लिए पर ऑपरेशन ब्लू स्टार एक ऐसा फैसला रहा जिसने उनके जीवन का अंतिम अध्याय लिख दिया। ऑपरेशन ब्लू स्टार पर कई सवाल उठाए गए तब भी और आज भी।दोषियों को सजा भी मिल गई। पर इसकी कहानी आज तक हर किसी की जुबानी अलग अलग ही सुनाई जाती है।