Indian Railway : अब प्राइवेट कर्मचारी करेंगे जनरल टिकटों की बिक्री, जानिए – कितना महंगा मिलेगा..

डेस्क : देश में जिस रफ्तार से निजीकरण हो रहे हैं उससे साफ प्रतीत होता है कि बुलेट ट्रेन की रफ्तार भी कम पड़ जाएगी। तत्कालीन सरकार सरकारी सिस्टम से त्रस्त होगा तभी तो उसे निजी हाथों में दे रहा है। जनता के द्वारा चुनी गई सरकार अपने ही द्वारा संचालित होने वाली व्यवस्था से जनता की सेवा नहीं कर पा रहा है तो कोई निजी कंपनी उसे कैसे संचालित करेगी यह तो सरकार ही जानेगी।

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Indian Railway अब टिकटों की बिक्री प्राइवेट हाथों में सौंपने की तैयारी कर रहा है। टिकटों की बिक्री सरकार आउट सोर्स के जरिए यानी प्राइवेट कंपनियों से करवाएगी। पूर्वोत्तर रेलवे ने इसके अंतर्गत अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी है। पूर्वोत्तर रेलवे ने स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट हर स्टेशन पर रखना शुरू कर दिया है। ज्ञात हो कि रेलवे में खाली हो रहा है पदों पर इंडियन रेलवे आउट सोर्स से काम करवाएगा। इसी में टिकट की बुकिंग भी शामिल है। स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट के माध्यम से अब स्टेशन पर टिकट बुक हो सकेगी। जंक्शन के टिकट काउंटर भी अब निजी हाथों में होगी। हॉल्ट और छोटे स्टेशनों की तरह अब रेलवे स्टेशनों पर भी प्राइवेट कर्मचारी कमीशन के आधार पर टिकट की बिक्री करेंगे।

इस नए कानून के अंतर्गत एनएसजी- 5 और एनएसजी-6 के स्टेशनों और जंक्शनों को शामिल किया जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे इस नए फैसले को अमल में लाने की प्रयास शुरू कर दी है। वाराणसी रेलवे मंडल प्रशासन ने एनएसजी 5 और एनएसजी 6 के 31 स्टेशनों पर स्टेशन बुकिंग टिकट बुकिंग एजेंट के लिए टेंडर भी निकाल दिया है। इसी तरह लखनऊ मंडल प्रशासन ने एनएसजी 5 श्रेणी के जंक्शन और स्टेशन पर स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस टेंडर के तहत 3 वर्ष के लिए स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट मानदेय पर रखा जाएगा।

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार के अनुसार यात्रियों को समय से अनारक्षित रेल टिकटों की बिक्री के लिए एनएसजी -5 एवं 6 श्रेणी के स्टेशनों पर स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी की गई है। इससे यात्रियों को सुविधा होगी। मानव संसाधन विभाग के मद से रेलवे के खर्चे में कटौती की गई है। मिली जानकारी के अनुसार रेलवे के खर्च का 67% हिस्सा मानव संसाधन विभाग पर जाता है। रेलवे बोर्ड अध्यक्ष के अनुसार खर्चे में कमी लाने के लिए रेलवे प्रशासन कम काम वाले पदों पर तैनात कर्मियों को दूसरे कार्य में समायोजित करेगी। और खाली हो रहे पदों पर आउट सोर्स के जरिए काम करवाएगी।