न सिर्फ़ देश में बल्कि पाकिस्‍तान और श्रीलंका में भी हैं मां भगवती की शक्तिपीठ, दर्शन के लिए लगती है लंबी कतार, जानें

शक्ति की देवी मां की आराधना का त्यौहार शुरू हो चुका है। इन 9 दिनों तक श्रद्धालुओं द्वारा काफी जोर-शोर से आराधना व पूजा मां जगत जननी की की जाती है। खास करके नवरात्रि में शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिलती है। मान्यताओं के अनुसार दुनिया में 51 शक्तिपीठ हैं ।

जो कि न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी मौजूद हैं। शक्तिपीठ के बनने की पीछे की कहानियां लगभग हर एक ही सनातनी को पता होगी। लेकिन शक्तिपीठ के स्थानों की जानकारी काफी कम लोगों को ही है कि देवी सती के किन अंगों से किन-किन स्थानों पर शक्तिपीठ बन चुके हैं और उनके क्या-क्या नाम है।जानते हैं इनकी विस्तृत जानकारी।

बंगाल में है सबसे ज्यादा शक्तिपीठ भारत में सबसे ज्यादा शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में है। यहां पर कुल 10 शक्तिपीठ हैं।जिनमें सबसे प्रसिद्ध है कालीघाट का स्थित दक्षिणेश्वर मंदिर। जहां माता काली के अद्भुत प्रतिमा है,जिसमें वह भगवान महादेव की छाती पर पैर रखकर खड़ी है। यहां पर माता सती के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था।

इसके अलावा भी बंगाल में अन्य 9 शक्तिपीठ हैं। किरीटेश्वरी मंदिर जो कि मुर्शिदाबाद में है। अट्हास मंदिर श्रीरामपुर में स्थित है तथा श्री बकरेश्वर मंदिर जो वीरभूमि में है। नंदीपुर शक्तिपीठ जो कि वीर भूमि और वीरभूमि में ही एक अन्य कालिका शक्तिपीठ है। केतुग्राम स्थित बहुला शक्तिपीठ तथा त्रिशोता भ्रामरी शक्तिपीठ ,विभास शक्तिपीठों के मिदनापुर में है और क्षीर ग्राम में युगाद्या भी है।

पश्चिम भारत मे है माता के पांच शक्तिपीठ महाराष्ट्र के कोल्हापुर में श्री महालक्ष्मी मंदिर है। इसे भी शक्तिपीठ के रूप में ही पूजा जाता है। यहां पर माता सती के त्रिनेत्र गिरे थे। यहां मां लक्ष्मी की मूर्ति विष्णु जी के साथ है जो कि 3 फीट की श्याम वर्ण की मूर्ति है। दीवार पर श्री यंत्र भी लगा हुआ है। कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर के अलावा पश्चिम भारत में मनिवेदिका मंदिर पुष्कर में ,अम्बिका विराट शक्ति पीठ जयपुर में ,जन् स्थान भ्रामरी शक्तिपीठ नासिक में और अंबाजी शक्तिपीठ बनासकांठा में मौजूद है।

उत्तर भारत मे आठ शक्तिपीठ है माता जगतजननी के भारत का ह्रदय कहे जाने वाले उत्तर भारत में 8 शक्तिपीठ हैं। सबसे प्रसिद्ध महामाया शक्ति पीठ अमरनाथ की पवित्र गुफा में स्थित है। इसे माता सती की एक जागृत शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां पर माता सती का कंठ गिरा था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ही स्थित विशालाक्षी शक्तिपीठ है ।तथा इसके अलावा प्रयागराज में ललिता देवी मंदिर, वृंदावन में कात्यायनी शक्तिपीठ, कांगड़ा से ज्वाला जी मंदिर, कुरुक्षेत्र स्थित श्रीदेवी भद्रकाली मंदिर तथा जालंधर में त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ और पटना में पाटन देवी का भी उत्तर भारत के शक्तिपीठ में नाम आता है।

दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत मे क्रमशः पांच शक्तिपीठ है दक्षिण भारत के 5 शक्तिपीठ रक्षा कन्याकुमारी स्थित शुचि चंद्रमम, जयपुर स्थित कामाक्षी मंदिर, कन्याकुमारी स्थित कन्या कश्रम, कब्बुर में गोदावरी और कुरनूल में सेल शक्तिपीठ है। पूर्वोत्तर भारत की बात करें तो असम में कामाख्या देवी, याजपुर में ब्रिजा देवी, उदयपुर में त्रिपुर सुंदरी, देवघर में जया दुर्गा शक्तिपीठ एवं जयंतिया में जयंती शक्तिपीठ है। इसके अलावा मध्यप्रदेश के उज्जैन में हरसिद्धि माता मंदिर है और अमरकंटक में शॉन शक्ति पीठ है।

पाकिस्तान और श्रीलंका में भी है शक्तिपीठ माता के 8 शक्तिपीठ भारत के अलावा अन्य बाहरी देशों में है। जिनमें सर्वाधिक बांग्लादेश में चार हैं जो कि शिकारपुर में सुगंध देवी, चिटगांव में चट्टल भवानी, ईश्वर पुरी में योगेश्वरी और भवानीपुर में करयोयघाट शक्तिपीठ है। इसके अलावा नेपाल में 2 शक्तिपीठ पोखरा में मुक्तिधाम और गुहेश्वर शक्तिपीठ काठमांडू में है ।तथा श्रीलंका में भी इंद्राक्षी शक्तिपीठ त्रिकोण माली में मौजूद है और तिब्बत में मानस शक्तिपीठ अवस्थित है।