बेटी के निधन के बाद उसके नाम को जिन्दा रखने के लिए पिता ने ऐसे खड़ी की करोड़ों की निरमा कंपनी

डेस्क : आजके बाजार में अनेको कपड़े धोने वाले वाशिंग पाउडर मौजूद है। ऐसे में लोगों के पास कपड़े धोने के लिए अनेकों विकल्प मौजूद है लेकिन एक समय पर सिर्फ एक ही वॉशिंग पाउडर आया करता था जिसका नाम निरमा वाशिंग पाउडर था। इस निरमा वॉशिंग पाउडर के ऊपर एक लड़की गोल घूमते हुए सफेद फ्रॉक पहने नजर आती थी बता दें कि यह डिटर्जेंट पाउडर करसनभाई पटेल द्वारा शुरू किया गया था। दरअसल उन्होंने डिटर्जेंट बनाना अपने घर के पीछे ही शुरू किया था और डिटर्जेंट बनाने के बाद वह इसको घर-घर बेचने के लिए जाया करते थे।

हिंदुस्तान युनिलीवर में डिटर्जेंट पाउडर की कीमत ₹13 प्रति किलो के हिसाब से थी लेकिन उस वक्त करसनभाई पटेल ने अपने वॉशिंग पाउडर को मात्र ₹3 प्रति किलो के हिसाब से बेचा और यह पाउडर भारत में छा गया। ऐसे में एक आम आदमी भी इस वॉशिंग पाउडर को आसानी से इस्तेमाल कर सकता था। करसनभाई पटेल गारंटी इस वाशिंग पाउडर पर गारंटी भी दिया करते थे। वह कहते थे कि यदि पाउडर सही ना लगे तो ग्राहक सारे पैसे वापस कर सकता है। इसके बाद निरमा वाशिंग पाउडर घर-घर में फेमस हो गया।

करसनभाई पटेल के पिता एक किसान हुआ करते थे। उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी ऐसे में करसन भाई पटेल ने भी डिटर्जेंट के जरिए जनता का खूब दिल जीता था। उन्होंने खूब मन लगाकर पढ़ाई की थी और मात्र 21 साल की उम्र में रसायनिक शास्त्र में बीएससी की डिग्री हासिल की थी लेकिन उनको नौकरी करना पसंद नहीं आया जिसके चलते उन्होंने सोचा कि वह अपना खुद का बिजनेस करेंगे और अपना ही कोई व्यापार चलाएंगे। उन्होंने एक प्रयोगशाला में सहायक असिस्टेंट के तौर पर भी काम किया था। उन्होंने इस प्रयोगशाला में लंबे समय तक नौकरी की।

कर्सन भाई पटेल की जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन अचानक से ही उनकी बेटी की एक दुर्घटना में मौत हो गई जिसके चलते वह अंदर से काफी टूट गए थे, बेटी की मौत ने करसन भाई पटेल की जिंदगी में एक रास्ता खोल दिया उनके दिमाग में एक आईडी आया कि वह अपनी बेटी को दोबारा से वापस ला सकते हैं। दरअसल उनकी बेटी का नाम निरुपमा था, ऐसे में कुछ लोग उनका नाम नहीं ले पाते थे जिसके चलते उसको निरमा के नाम से बुलाया करते थे। करसन भाई पटेल का सपना था कि उनकी बेटी देश का नाम रोशन करें जिसके चलते उन्होंने अपने डिटर्जेंट पाउडर का नाम निरमा रखा। उन्होंने इसको निरमा के नाम से खूब प्रसारित किया था। उन्होंने सोचा कि ऐसा करने से उनकी बेटी का नाम हमेशा के लिए जिंदा हो जाएगा।

करसन भाई पटेल के लिए निरमा पाउडर बनाना बेहद ही आसान काम था क्योंकि वह एक साइंस ग्रैजुएट स्टूडेंट थे और उन्हें इसकी सारी बारीकियां पता थी। 1969 में उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। इस पाउडर को बनाने के उन्होंने बार-बार प्रयास किया था। पटेल एक सरकारी नौकरी करते थे इस सरकारी नौकरी को पूरा करने के बाद वह घर-घर जाकर निरमा पाउडर बेचा करते थे। एक आम आमदनी वाला इंसान इस पाउडर को खूब ख़रीदत्ता था जो इस निरमा की सफलता का राज़ बना।