डेस्क : देश में लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच आम लोगों के लिए एक मौज वाली खबरें सामने आई है। जानकारी के लिए आपको बता दें की मूंगफली तेल के निर्यात की भारी मांग होने से तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली तेल तिलहन के भाव में पर्याप्त बढ़त देखी गई। जबकि, गर्मियों में स्थानीय मांग कमजोर होने से सरसों सोयाबीन तेल तिलहन, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला खाद्य तेल कीमतों में गिरावट आई। बाकी तेल तिलहनों के भाव जस-के-तस बने रहे।
बाजार सूत्रों का कहना है कि विदेशों में मूंगफली तेल की मांग होने की वजह से निर्यातक मूंगफली तेल 160 रुपये प्रति किलो के भाव पर खरीद रहे हैं। इस निर्यात मांग के कारण मूंगफली तेल तिलहन के भाव मजबूत हुए। लेकिन स्थानीय मांग कमजोर होने से बाकी खाद्य तेल तिलहनों की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। सूत्रों ने दावा किया कि खाद्यतेल तिलहनों के थोक भाव में गिरावट आई है। थोक विक्रेता आगे आपूर्ति करने के लिए खुदरा कंपनियों को 152 रुपये लीटर (अधिभार सहित) के हिसाब से आपूर्ति कर रहे हैं। लेकिन खुदरा कंपनियां इस कीमत में मनमानी वृद्धि कर रही हैं जिस पर अंकुश लगाने के बारे में सरकार को सोचना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि ‘थोक बिक्री मूल्य के हिसाब से खुदरा में सरसों तेल अधिकतम 158-165 रुपये लीटर तथा सोयाबीन तेल अधिकतम 170-172 रुपये लीटर मिलना चाहिये। इस कीमत पर उपभोक्ताओं को खाद्य तेल आपूर्ति के लिए सरकार को यथासंभव प्रयास करना होगा। मार्केट में मांग नहीं होने से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव गिरावट के साथ बंद हुए।