गर्व! मां मजदूरी की..दूसरे का झाड़ू पोछा कर पढ़ाया- अब बेटी बन गई IAS..

न्यूज डेस्क: जब गरीबी से उठकर सफलता को छूने वालों का नाम लिया जाता है तो उसमें आईएएस पूजा नायक का नाम सबसे पहले लिया जाना चाहिए। पूजा नायक इस बात को मिटा देती हैं कि झुग्गी में रहने वाले आईएएस या सफल नहीं हो सकते। उनका बचपन राजस्थान में श्रीगंगानगर रेलवे ट्रैक के पास बनी झुग्गी झोपड़ी में बीता। जब वह 5 साल की थी, तब उसके पिता का हाथ उसके सिर से हट गया था। मां ने किसी तरह मजदूरी कर पूजा नायक को सफल बनाया और पढ़ाया लिखाया।

घर में नहीं थी बिजली

पूजा नायक बचपन से ही पढ़ने-लिखने में मेधावी थीं। पूजा नायक की 2 बहनें और 1 भाई है। पूजा की मां ने किसी तरह मजदूरी कर अपनी तीन बेटियों और एक बेटे को पाला और सबको पढ़ाया। आज हम जिस IAS अधिकारी की बात कर रहे हैं उसके बारे में बता दें कि उनके घर में कभी बिजली तक नहीं थी। पूजा नायक के घर में बिजली नहीं थी, इसलिए उसने किसी तरह पास की स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ाई की।

पूजा नायक के आईएएस बनने के बाद सिविल सेवा परीक्षा के लिए झुग्गी के बच्चों को जागरूक करने के लिए सुभाष नगर और नाहरपारा में कैंप लगाए गए। इस दौरान बच्चों को आईएएस पूजा नायक के संघर्ष और अफसर बनने के बारे में बताया गया।

समाजसेवी सावित्री जगत ने कहा कि आज दलितों व अन्य के घरों में काम करने वाले मजदूर की बेटी वर्ष 2017 कैडर की आईएएस अधिकारी बनी है। पूजा नायक ने अपनी शुरुआती पढ़ाई घर पर रहकर ही की। उसकी सफलता के बाद उसके पड़ोस में रहने वाले सभी लोग खुश थे। जाहिर है पूजा नायक की यह सफलता की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है।