नई दिल्ली: वाहन चलाने वाले लोगों के लिए यह खबर काम की हो सकती है खबर है कि सरकार एक ऐसा नियम लेकर आ रही है जिसके तहत वाहन के दस्तावेज जैसे ड्राइविंग लाइसेंस (DL), रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) से मोबाइल नंबर लिंक करना होगा। मोदी सरकार ने 1 अप्रैल 2020 से अब केंद्र सरकार वाहनों के दस्तावेजों (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस, पॉल्यूशन सर्टीफिकेट सहित अन्य दस्तावेज) को मोबाइल नंबर से लिंक करना अनिवार्य करने जा रही है. इसे लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर लोगों की राय मांगी है.
अभी इसे लेकर लोग अपनी सुझाव 29 दिसंबर तक सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेज सकते हैं. बताया जा रहा है कि मोबाइल से वाहन के दस्तावेज लिंक कराने पर गाड़ी चोरी होने की जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी और इससे चोरी की गाड़ी खरीद-फरोख्त पर भी अंकुश लगाई जा सकेगी.
इसलिए अब वाहनों के दस्तावेजों यानी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल), पॉल्यूशन सर्टीफिकेट समेत अन्य को मोबाइल नंबर से लिंक कराना जरूरी हो जाएगा. यह नियम एक अप्रैल 2020 से लागू होगा. इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर इस पर लोगों की राय मांगी है.
इस संबंध में लोग 30 दिन के अंदर यानी 29 दिसंबर तक अपने सुझाव सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेज सकते हैं. यह मामला उस समय सामने आया, जब बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दी. इस बिल का मकसद पब्लिक और प्राइवेट कंपनियों के लिए पर्सनल डेटा को रेगुलेट करने की व्यवस्था करना है.
ऐसा माना जा रहा है कि वाहन के दस्तावेजों से मालिक के मोबाइल नंबर के लिंक होने से गाड़ी चोरी होने की जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी. वाहन दस्तावेजों के साथ मोबाइल नंबर लिंक होने से गाड़ी की चोरी, खरीद-फरोख्त पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.
और इसके अतिरिक्त वाहन डाटा बेस में मोबाइल नंबर दर्ज होने से जीपीएस के अलावा मोबाइल नंबर की मदद से किसी भी व्यक्ति की लोकेशन का पता किया जा सकता है. इसमें विशेषकर सड़क दुर्घटना, अपराध को अंजाम देने के बाद पुलिस उक्त व्यक्ति का तुरंत पता लगा सकती है और भ्रष्टाचार से भी राहत मिलेगी.
बताते चले की सरकार ने साथ ही केंद्र सरकार और अन्य सरकारी संस्थाओं के पास सभी वाहनों और ड्राइविंग लाइसेंस का पूरा डाटा, मोबाइल नंबर सहित उपलब्ध होगा. अगर जरूरत पड़ी तो पुलिस, आरटीओ या कोई अन्य एजेंसी आसानी से वाहन चालक या उसके मालिक से संपर्क कर सकती है. जबकि बड़े महानगरों में इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट को लागू किया जा सकेगा.
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