IAS की नौकरी छोड़..की थी लॉ की पढ़ाई, किराए के घर से राष्ट्रपति बनने तक का सफर, ये है रामनाथ कोविंद..

न्यूज़ डेस्क: राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। बता दे की वर्तमान राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद का बिहार से हमेशा से ही गहरा नाता रहा है। लेकिन इसी बीच आप लोगों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जुड़े कुछ दिलचस्प बातें बताएंगे।

Ram Nath Kovind

जो की काफी कम लोग ही जानते है। रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर, 1945, परौख, में उत्तर प्रदेश राज्य में हुआ था। वह भारतीय वकील और राजनीतिज्ञ जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति (2017-) के रूप में कार्य किया।

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वह कोचेरिल रमन नारायणन के बाद दलित जाति के दूसरे व्यक्ति और पद संभालने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पहले सदस्य रहे। काफी कम लोग हीं जानते होंगे कि छात्र जीवन में वे खाली समय में अपने पिता की परचून की दुकान संभालते थे। वही उन्‍होंने बतौर वकील सुप्रीम कोर्ट व दिल्‍ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस भी की थी। साथ ही भारतीय सिविल सेवा के लिए चुने गए थे, लेकिन उन्होंने वह नौकरी ठुकरा दी थी।

The name and the aim

कोविंद एक छोटे से कृषि प्रधान गांव में मामूली परिस्थितियों में पले-बढ़े। जहां उनके पिता खेती करते थे और एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते थे। जब वे छोटे थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया था। कानपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य और कानून में डिग्री हासिल करने के बाद वह सिविल सेवा परीक्षा देने के लिए दिल्ली चले गए। हालांकि, वह पास हो गए, पर नौकरी न ज्वाइन करके कोविंद ने कानून का अभ्यास शुरू करना चुना और 1971 में बार में भर्ती हुए।

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कोविंद ने दिल्ली फ्री लीगल एड सोसाइटी में काम किया। और उन्होंने अखिल भारतीय कोली समाज के महासचिव के रूप में (1971-75, 1981) भी काम किया, जो एक दलित कोली समुदाय के हितों की सेवा करने वाला एक संगठन है। फिर वह दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील थे। और कुछ दिनो मे ही वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक वकील-ऑन-रिकॉर्ड बन गए। 1980 में कोविंद सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के स्थायी वकील के पद पर पहुंचे, और उन्होंने 1993 तक वहां अभ्यास किया। इसके अलावा, उन्होंने प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई के कार्यकारी सहायक के रूप में (1977-78) सेवा की।

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कई लोग यह नहीं जानते होंगे की वह अपने राजनीतिक करियर में पहली बार साल 1990 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर घाटमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार के लिए बड़ी गाड़ी का इंतजाम नहीं कर पाने के कारण उन्‍होंने अपनी स्कूटर से ही गांव-गांव मे प्रचार किया था। पर वे चुनाव हार गए। अप्रैल 1994 में वे पहली बार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्‍य बने। इसके बाद वे दो बार 12 वर्षों तक राज्यसभा सदस्‍य रहे। साल 1994 में राज्‍यसभा सदस्‍य बनने के बाद भी वे कानपुर में कल्याणपुर में करीब एक दशक तक एक किराए के एक घर में रहे थे। किसे पता था की किराए पर रहने वाला यह लड़का एक दिन देश का राष्ट्रपति बन जाएगा।