क्या “समान नागरिक संहिता” से छिन जाएंगे सभी धर्मों के अधिकार? जानें – UCC के बारे में

मोदी सरकार ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लाने की बात करी है, जिसके अंतर्गत अब देश में सभी व्यक्तियों के लिए समान कानून होंगे फिर चाहे वह उत्तराधिकारी, शादी बच्चे या कोई भी क्षेत्र हो। जब से इसकी बात हुई है तब से देशभर में कुछ दल और विपक्षी पार्टियां विभिन्न तरीकों से इसका विरोध कर रही है. वहीं, कई इसे (UCC ) सही बता रहे हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि यह लैंगिक समानता के लिए एक जरूरी कदम है. वहीं कांग्रेस ने इसे मुद्दे से ध्यान भटकाने का सरकार का एक कदम बताया है।

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पर विचार लेने हेतु संसद की एक स्थाई समिति ने 3 जुलाई को विधि आयोग और कानून प्रतिनिधियों को बुलाया है। इस मुद्दे को लेकर विधि आयोग ने लोगों और धार्मिक संगठनों से भी सुझाव की मांग की जिस पर मंगलवार तक 8.5 लाख तक प्रतिक्रियाएं दर्ज की गई है। इस मुद्दे पर विपक्ष ने अपना विरोध दर्ज किया है तो कई जगह पर मीटिंग बुलाई जा रही है,आइए जानते हैं कि आखिर क्या है समान नागरिक संहिता।

क्या है समान नागरिक संहिता या UCC : यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) या समान नागरिक संहिता हर व्यक्ति के लिए जो देश में है समान कानून वाला कानून है जिसके अंतर्गत उत्तराधिकार, तलाक, शादी व बच्चा गोद लेने जैसे हर तरह के नियमों में एक ही कानून लागू होगा अभी तक देश में अलग-अलग धर्मों के अपने-अपने कानू चलते हैं जैसे मुसलमानों के लिए अलग कानून, ईसाइयों के लिए अलग कानून और और भी अलग अलग धर्मों के लिए अलग कानून है।

केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून लैंगिक समानता के लिए बेहद जरूरी है माना यह भी जा रहा है कि मानसून सत्र तक सरकार इस पर बिल लाएगी। इस मामले पर विपक्ष बंटा हुआ है। जहां कांग्रेस, JDU, RJD, TMC, Shiromani Akali Dal, AIMIM, Indian Union Muslim League, Samajwadi Party और DMK ने इसके विरोध की बात की है। वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने इसके समर्थन की बात करी है।

समान नागरिक संहिता पर कांग्रेस का कहना है कि यह देश में चल रही समस्याओं जैसे मणिपुर की समस्या, बेरोजगारी,महंगाई आदि से ध्यान भटकाने का एक साधन है ताकि 2024 के चुनावों में इसका फायदा मिल सके। केसी वेणुगोपाल का कहना है कि यह सरकार की योजना है लोगों का ध्यान भटकाने की वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि आदिवासियों का ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर यह कानून आता है तो उनकी परंपरा का क्या होगा।

इस कानून पर ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने कहा है कि इससे ना सिर्फ मुस्लिम धर्म बल्कि कई अन्य धर्म के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा, साथ ही में उन्होंने संविधान में अनुच्छेद 25 जिससे कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है उसके छिनने की बात भी कही है।