डेस्क : एक तरफ देश तरक्की कर रहा है तो दूसरी ओर देश ने श्रमिक जैसे वर्ग को भी स्वीकारा है। आपको बता दें कि दूरदर्शी नजर रखने वाले लोग, इस वक्त बेहद ही बेहतरीन तालमेल बैठते नजर आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही हमें देखने को मिलता है, सम्मान फाउंडेशन के संस्थापक इरफान आलम की जिंदगी में। वह शुरू से ही गरीबों से जुड़े रहे हैं इसलिए उन्होंने ऐसा कार्य खोज निकाला जिसमें उन्होंने गरीबों के लिए हमेशा काम आने वाली आए का जुगाड़ कर दिया। इरफान आलम ने आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ाई की है। यहां पर भारतीय प्रबंधन की पढ़ाई होती है।
उन्होंने स्नातक की डिग्री अर्थशास्त्र में हासिल की है और उनका मानना है की Never Say Never वह इसमें पूरा विश्वास रखते हैं। उन्होंने सबसे पहले रिक्शा वालों को देखा और अपना यह कार्य बिहार से शुरू किया। बिहार के रिक्शा वालों को एक अलग ही शक्ल प्रदान की है जहां पर रिक्शा में वह हर तरह की सुविधा देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपना कार्य 300 रिक्शा से 2007 में चालू किया था यहां पर रिक्शा की सवारियों को आरामदायक, मनोरंजक पत्रिका, अखबार, संगीत, प्राथमिक चिकित्सा जैसे सारी सुविधाएं देने की कोशिश की गई है।
एक बार वह रिक्शे में सफर कर रहे थे तब उनको खूब प्यास लगी। लेकिन, जब उन्होंने रिक्शावाले से पानी मांगा तो रिक्शा वाले के पास पानी नहीं था तब उन्होंने दिमाग लगाया कि अगर रिक्शा वालों के पास पानी हो और कुछ अतिरिक्त खाने का समान हो तो उससे बात बन जाए। इसके लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से लोन लिया और तीन इंजीनियरों की मदद से एक नए तरह का रिक्शा डिजाइन किया।
इस प्रयास में इरफान को पूरे भारत में एक नई पहचान दिलाई और 2010 में उनको अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामाने ने उनको शाबाशी दी। उनको अमेरिका के वाइट हाउस में युवा उद्यमियों के शिखर सम्मेलन में भी बुलवाया गया। इरफान को अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं एवं बिजनेस वर्ल्ड का उद्यमिता पुरस्कार भी उनके नाम है। भारत के 40 विधायकों की सूची में उनका नाम आ चुका है टाइम्स ऑफ इंडिया एवं इंडियास बेस्ट हित में भी वह अपना नाम दर्ज कर चुके हैं इसके अलावा गार्जियन पत्रिका लंदन के कई न्यूज़ पेपर और अखबार में उनकी तस्वीरें छपी है।