ISRO ने रचा नया इतिहास, जासूसी उपग्रह कार्टोसेट-3,पाकिस्तान पर होगी कड़ी नज़र

भारतीय स्पेस एजेंसी (इसरो): पी.एस.एल.वी ने पूरी करी अपनी 49वीं उड़ानपूरी कर ली है भारत के पी.एस.एल.वी ने अपनी 49वीं उड़ान ओर बस महज एक उड़ान है दूर है अर्धशतक कायम करने में, इसरो के अनुसार इस बार इसने इस्तेमाल करे है 6 ठोस रॉकेट स्ट्रैप्स ओर 1 ऑन मोटर आपको यह बात बता दे कि यह राकेट भारत के तीसरी पीढ़ी का है, जो कि 1993 से लेकर अब तक काम मे आ रहा है। ओर इसका सफल प्रशिक्षण तब हुआ जब आसमान में बाहर के देशों द्वारा भी उपग्रह भेजे गये है।

अर्धशतक से एक कदम दूर पीएसएलवी

अगर इसरो के व्यज्ञानिकों की सुने तो उनका कहना है की पी.एस.एल.वी ऐसा 21वी बार कर रहा है, ओर अब तक यह 209 विदेशी उपग्रह ओर 49 भारत के उपग्रहों को सफलतापूर्वक आसमान में ले जा चुका है ओर यही वह राकेट है जिसने 2008 में सफ़लता के साथ चंद्रयान-1को ओर 2013 में मार्स ऑर्बिटर को अंतरिक्ष मे भेजा था।

इसमें इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी रिमोट सेंसिंग पर काम करती है जिसमे हम धरती पर बैठे अंतरिक्ष में संदेश भेज ओर प्राप्त कर सकते है। इसरो के द्वारा बनाया गया उपग्रह जिसका नाम है कारटोसट-3 बताया जा रहा है कि अब तक का सबसे अच्छा उपग्रह है रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में।

आईये जानते है क्या है कार्टोसट-3

CARTOSAT-3

ये है लेटेस्ट टेक्नोलॉजी रिमोट सेंसिंग बेस उपग्रह है, जो कि क्षमता रखता है अंतरिक्ष से हाई रेसोलुशन पिक्चर धरती पर भेजने में। यह मदद करता है नक्शा बनाने में या यूं कहें कि यह नक्शा बनाने की एक मशीन है। इस उपग्रह से हम यह अंदाजा लगा सकते है कि किस क्षेत्र में क्या गतिविधी हो रही है, इससे उद्योगिक क्षेत्र में हमें काफी सफलता मिलेगी, इसका काम डेटा को संग्रह करना होता है, ओर इसकी काबिलियत के तो क्या ही कहने 509 किलोमीटर की ऊंचाई से 25 सेंटीमीटर की तस्वीरें बिल्कुल सटीक भेजने की क्षमता रखता है।

पाकिस्तान पर होगी कड़ी नज़र

ऐसे में पाकिस्तान पे नज़र रखने के लिए ये काफी कारगर साबित हो सकता है, पहले कार्टोसट-1 की शुरुआत 2005 में हुई और 2019 में यानी इस साल इसका तीसरा मॉडल भेज गया। इसकी मदद से हमें निगरानी रखने में ओर अंतरिक्ष से 24 घंटे संपर्क में बने रहने में काफी मदद मिलेगी। इसकी आयु 5 वर्ष की निर्धारित की गई है और इसकी धुरी धरती और सूर्य की गणना के हिसाब से करी गयी है।

इस मिशन में 13 तरह के ओर उपग्रह भी भेजे गए है जो कि धरती की परिक्रमा करेंगे और उद्योगिक करण में मदद करेंगे । इनसे हमें जल ,जंगलों, पर्यावरण, तट के क्षेत्र , कृषि और मछली के व्यवसाय पे नज़र रखने में मदद मिलेगी। चंद्रयान -2 के विफल विक्रम लैंडर के बाद भेज गया इसरो का यह रॉकेट जिसका उपग्रह कार्टोसट-3 अब बिल्कुल सही दिशा में स्थापित हो चुका है।

इण्डिया रिमोट सेंसिंग के इस कार्यक्रम में 24 उपग्रह छोड़े गए जिसमें एक विफल रहा ओर उसका नाम है आयी आर एस-1, बाकी उपग्रह अपना काम बिल्कुल सही से कर रहे है। पी.एस.एल.वी रॉकेट हुआ विफल सिर्फ 2 बार पहली असफलता हाथ लगी 20 सितंबर 1993 कोओर दूसरी दफा 31 अगस्त 2017 को।

Anurag Yadav