यूपी में चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी का बड़ा फैसला..तीनों कृषि क़ानून वापस लेने का ऐलान

डेस्क: शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करते हुए किसानों के तीनों कानून बिल वापस लेने का फैसला किया, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इसके लिए कमेटी का गठन करेगी, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार लाख जतन के बावजूद किसानों के धड़े (Farmers Protest) को समझा नहीं पाई और देशवासियों से क्षमा मांगता हूं कि हमारे ही प्रयासों में कोई कमी रही होगी, पीएम ने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा कि गुरुपर्व के मौके पर आप अपने घर और खेत पर लौटे,,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा: राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “किसानों की स्थिति सुधारने के महाअभियान में तीन कृषि कानून लाए गए थे, मकसद ये था कि छोटे किसानों को और ताकत मिले और उन्हें उपज का सही दाम मिले। बरसों से ये मांग, देश के कृषि विशेषज्ञ, संगठन और वैज्ञानिक कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई और कानून लाएंगे। देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसान संगठनों ने स्वागत किया और समर्थन किया। मैं आज उन सभी का समर्थन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।”

जानें- वो तीनों कृषि बिल के बारे में जिस पर विरोध चल रहा था:

पहला:- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020: पहला बिल के मुताबिक, किसान अपनी मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं, बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं, इसका मतलब है कि एपीएमसी (APMC) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री संभव है। साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी। इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे।

दूसरा:- मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020: दूसरा बिल यह कहा गया की देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है, फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी, किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज खत्म होगा।

तीसरा:- आवश्यक वस्तु संशोधन बिल: तथा तीसरा बिल के अंतर्गत आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था, अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्‍पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है। बहुत जरूरी होने पर ही इन पर स्‍टॉक लिमिट लगाई जाएगी। ऐसी स्थितियों में राष्‍ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं। प्रोसेसर या वैल्‍यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्‍टॉक लिमिट लागू नहीं होगी।उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।