हरसिमरत कौर बादल का बयान,”अगर हमारी बात सुन ली गई होती तो 700 किसान की जान नहीं जाती”

डेस्क : ये 378 दिन का जो किसान आंदोलन चला है, सबसे पहले संसद में इस्तीफ़ा शिरोमणि अकाली दल ने दिया था।अगर हमारी बात सुन ली गई होती,तो 700 लोगों की जान नहीं जाती कांग्रेस पार्टी ने अगर विपक्ष का फर्ज निभाया होता तो शायद यह बिल पास नहीं होते ।यह बयान है शिरोमणि अकाली दल की सांसद ‘हरसिमरत कौर बादल’ का।

उनका कहना है कांग्रेस पार्टी ने विपक्ष का फर्ज सही से नहीं निभाया , अगर निभाया होता तो यह बिल पास नहीं होते और अगर सरकार ने हमारी बात पहले ही सुन ली होती तो 700 किसानों की जान नहीं गई होती।हरसिमरत कौर बादल एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारत सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और बठिंडा से लोकसभा में सांसद हैं। वह शिरोमणि अकाली दल पार्टी की सदस्य हैं ।

केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने गुमोदी कैबिनेट से कृषि संबंधी तीन विधेयकों का विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया था ।शिरोमणि अकील दल की तरफ से मोदी सरकार में हरसिमरत बादल ही एकमात्र प्रतिनिधि थीं। पंजाब की यह पार्टी बीजेपी का सबसे पुराना सहयोगी दल है। हालांकि, सुखबीर बादल ने जब यह ऐलान किया था कि मोदी सरकार से उनका मंत्री इस्तीफा देगा, उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल सरकार और बीजेपी का समर्थन जारी रखेगी। लेकिन, किसान विरोधी नीतियों का विरोध करेगी।

दरअसल, लॉकडाउन के दौरान 5 जून को कृषि संबंधी तीन अध्यादेश लाए गए थे और संसद सत्र के ऐलान के साथ ही खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान इन अध्यादेशों के विरोध में सड़कों पर उतर आए।

संसद में प्रस्तावित कृषि विधेयक को किसान विरोधी बताकर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया था। हरसिमरत कौर ने इस्तीफे की जानकारी ट्वीट के जरिए दी थी। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व।’

अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को कृषि कानून के तीनों विधायकों को वापस ले लिया है तो किसानों ने अपने आंदोलन को खत्म करने का ऐलान किया। इसके बाद हरसिमरत कौर का यह बयान आया है कि अगर हमारी बात पहले सुन ली गई होती तो 12 महीने लंबा आंदोलन नहीं चला होता और किसानों को इतना नहीं झेलना पड़ा होता।