हैकर्स ने खाते से चुराए पैसे तो आप नहीं, बल्कि बैंक होगा जिम्मेदार ! राष्ट्रिय उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला

डेस्क : जैसे-जैसे दिन बीत रहा है महीने गुजर रहे हैं और साल निकल रहा है उसी तरह से भारत में डिजिटल तकनीक नए मोड़ ले रही है। एक समय ऐसा भी था जब लोगों को मनी आर्डर प्राप्त करने के लिए कई दिन इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब जमाना बदल गया है और लोग मोबाइल के जरिए पैसों की लेनदेन आसानी से कर सकते हैं। लेकिन यहां पर भी षड्यंत्र रचने वाले लोग आ चुके हैं जिनको तकनीकी दुनिया के हिसाब से हैकर्ज कहा जाता है। हैकर्स कब बैंक से पैसे निकाल लेते हैं इसका पता ग्राहक को नहीं लगता।

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का कहना है की अगर ग्राहक के खाते से इस तरह की चोरी होती है तो इसके लिए बैंक जिम्मेदार होगा ना की ग्राहक। इस तरह के बढ़ते हुए मामलो ने इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सिस्टम पर सवाल उठाएं हैं। दरअसल मामला यह है की अमेरिका में रह रही जैसेना जोस जो की अमेरिका में रहती हैं और उनके पिताजी ने मुंबई के ठाणे से एक प्रीपेड फोरेक्स प्लस कार्ड जारी करवाया था। यह कार्ड उन्होंने 2007 में जारी करवाया था। इसके बाद उनके पिता जी को बैंक से फ़ोन आया और उनको कहा गया की आपको 310 डॉलर की ट्रांसक्शन दिखानी है, जैसेना के पिता ने मना कर दिया।

इसके बाद उनके पास एक और फ़ोन आता है की उनके पास से 14 से 20 दिसंबर के बीच 6 हजार डॉलर की रकम और निकाली गई है। यह बात जब जैसेना ने सुनी तो शिकायत की और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग से इंसाफ की गुहार लगाई। उपभोक्ता आयोग ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया और बैंक की लापरवाही पर सख्त कदम उठाते हुए कहा की ऐसी गलतियों का ज़िम्मेदार बैंक खुद होगा।

ऐसे मामलों पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2017 में एक फैसला सुनाया था और कहा था कि जिस की भी गलती होगी उसको सजा भुगतनी होगी और सजा को मद्देनजर रखते हुए जितनी भी नुकसान होगा वह गलती पाए जाने पर चुकाना होगा। अगर गलती बैंक की है तो बैंक मुआवजा देगा और अगर गलती ग्राहक की है तो ग्राहक को नुकसान झेलना होगा और अगर ऐसी स्थिति आती है,जहां पर ना ही ग्राहक की गलती है और ना बैंक की तो उसकी अलग शर्तें होंगी।

उस स्थिति में ग्राहक को धोखाधड़ी का मामला 3 दिन के भीतर दर्ज कराना होगा और अगर ऐसा नहीं किया तो धोखाधड़ी का मामला दर्ज नहीं किया जाएगा और अगर इन दिन के भीतर शिकायत दर्ज हो जाती है तो ₹5000 से लेकर ₹25000 तक की धनराशि मिल जाएगी लेकिन 1 सप्ताह से ज्यादा हो जाता है और ग्राहक कोई भी उचित कार्य नहीं करता है तो यह बैंक की पॉलिसी पर निर्भर करेगा की आगे क्या करना है।