आज़ाद भारत की गुलाम ट्रेन! जिसे चलाने के लिए सरकार आज भी भरती है अंग्रेजों को मोटा लगान -जाने नाम और रूट

डेस्क : जैसा कि हम जानते हैं, देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्त हुए 70 साल से भी ज्यादा हो गए है। ऐसे में बीते 70 सालों से हमने कई चुनौतियों से फटाफट निपटा और देश को आगे बढ़ाया। अंग्रेजों के द्वारा दी गई, कई चीजों का आज भी हम इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में इंडियन रेलवेज़ इसका जीता जागता उदाहरण है।

इंडियन रेलवेज में आज एक ऐसी ट्रेन मौजूद है जिसका भारत सरकार आज भी अंग्रेजों को रॉयल्टी देती है। यह पैसा ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी को दिया जाता है। साल में इंडियन रेलवे की तरफ से इस कंपनी को 1 करोड़ 20 लाख रूपया बेचा जाता है। ऐसे में आपको इच्छा हो रही होगी कि आखिर इस ट्रेन का क्या नाम है? नाम बताने से पहले आपको बता दें कि यह ट्रेन अमरावती से मुर्तजापुर तक चलती है। यह ट्रेन कुल मिलाकर 179 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

ऐसे में यह ट्रेन इस सफर को मात्र 6 से 7 घंटे में पूरा करती है लेकिन इसको चलाने के लिए सरकार बड़े स्तर पर खर्चा करती है। बता दें कि शकुंतला एक्सप्रेस नाम की ट्रेन 17 छोटे और बड़े स्टेशनों के बीच होकर गुजरती है। इस ट्रेन में 7 डब्बे लगे हुए हैं और रोजाना हजार लोग यात्रा करते हैं। कई लोग इस रूट को शकुंतला रेल रूट के नाम से भी जानते हैं, बता दें कि एक समय पर अमरावती का इलाका कपास उगाने के लिए माना जाता था ऐसे में कपास को मुंबई के बंदरगाह तक ले जाने के लिए अंग्रेजों ने इसका निर्माण करवाया था।

भारत में 1950 तक रेलवे का काम ब्रिटेन की कंपनियों ने ही संभाला था। साल 1991 में भारत सरकार ने रेलवे का राष्ट्रीयकरण कर दिया था, लेकिन यही पूरा रुट भारत सरकार के अधीन कभी नहीं आ पाया। ऐसे में इस रेल रूट के बदले भारत सरकार ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी को सालाना 1 करोड़ 20 लाख देती है। बता दें कि यह ट्रेन 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। इस ट्रेन के ट्रैक जर्जर हो चुके हैं। लंबे समय से इस ट्रेन के ट्रैक की मरम्मत नहीं हुई है। इतना ही नहीं शकुंतला एक्सप्रेस को दो बार बंद भी करवाया जा चुका है, बता दें कि 2014 और 2016 में ट्रेनों को बंद कर दिया गया था लेकिन स्थानीय लोगों की मांग पर इसको दोबारा चला गया। शकुंतला एक्सप्रेस अमरावती के लोगों की लाइफ लाइन मानी जाते है।