आखिर कौन है IAS पूजा सिंघल? जिसके 20 ठिकानों पर ED के पड़े छापे, घर से 25 करोड़ नकदी बरामद..

डेस्क : देश में भ्रष्ट ऑफिसर की कमी नहीं है। ऐसा हम इसलिए कह रहे है, क्योंकि आए दिन सोशल मीडिया की सुर्खियों पर धनकुबेर अफसरों के काले चिट्ठे पुर्जे सामने आते रहते हैं। ताजा मामला झारखंड से आया है। जहां, अवैध खनन मामले में झारखंड की वरिष्ठ आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल (IAS PUJA SINGHAL); व उनसे जुड़े व्यक्तियों के 20 ठिकानों पर ED की टीम ने एक साथ छापेमारी शुरू कर दी है।

जिसमे पूजा सिंघल के आवास से भारी मात्रा में नकदी(करीब 25 करोड़) बरामद होने की सूचना है। जानकारी ये भी है कि बरामद नकदी की गिनती के लिए मशीन मंगाई गई है। ये पैसे इनके चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) के यहां से मिली है। मिली जानकारी के अनुसार, पूजा सिंघल के मुजफ्फरपुर स्थित मिठनपुरा ठिकाने भी पर ईडी की छापेमारी चल रही है। यह मकान पूजा सिंघल के ससुर कामेश्वर झा का है। वे भी बिहार सरकार में पदाधिकारी थे। उनके पुत्र अभिषेक झा से पूजा सिंघल ने दूसरी शादी की है।

बात यही नही खत्म होगी। आइएएस पूजा सिंघल के पति अभिषेक के आवास पर भी ईडी ने छापेमारी की है। बता दें कि आइएएस अधिकारी राहुल पुरवार से तलाक के बाद पूजा सिंघल ने अभिषेक से शादी की थी। अभिषेक के रांची में रातू रोड स्थित एक ठिकाने पर ईडी के अधिकारी जांच कर रहे है। ईडी ने छापेमारी में उनके घर से दस्तावेज जब्त किए हैं। इसके बाद अधिकारी दस्तावेज लेकर कार्यालय पहुंचने लगे।

डा. निशिकांत दुबे ने भी ट्वीट कर दी जानकारी : वही, गोड्डा के सांसद डा. निशिकांत दुबे ने भी शुक्रवार की सुबह-सुबह ट्वीट कर पूरे मामले की जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट में आरोप लगाया है कि पूजा सिंघल ने मुख्यमंत्री, उनके भाई, गुर्गों आदि को कौड़ी के भाव में खान आवंटित किया। आखिर, उनके यहां ईडी का छापा पड़ ही गया जो देश में 20 ठिकानों पर चल रहा है। यह छापेमारी रांची, दिल्ली, राजस्थान, मुंबई में चल रही है। वही, ईडी ने शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को बताया था कि झारखंड के खूंटी जिले में मनरेगा में 18.06 करोड़ रुपये के घोटाले के वक्त वहां की उपायुक्त पूजा सिंघल थी। इस मामले में वहां के कनीय अभियंता राम विनोद प्रसाद सिन्हा गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे, जिन्होंने ईडी को दिए अपने बयान में यह स्वीकार किया था कि कमीशन की राशि उपायुक्त कार्यालय तक पहुंचती थी। ईडी ने चतरा और पलामू के भी दोनों मामलों की चल रही जांच की जानकारी अपने शपथ पत्र के माध्यम से हाई कोर्ट को दी थी।