Durlabh Kashyap: माथे पर तिलक..आंखों में सुरमा, महाकाल का नाम..जानें- दुर्लभ की पूरी कहानी..

Durlabh Kashyap: मध्य प्रदेश के उज्जैन के रहने वाले दुर्लभ कश्यप के स्टाइल को लाखों युवा फॉलो करते हैं। अपराध की दुनिया में दुर्लभ कश्यप एक बड़ा नाम है। जिसने कम उम्र में ही खुद को अपराध की दुनिया में स्थापित कर लिया था। इसके अपराध करने के तरीके अलग थे। युवा लड़के-लड़कियां दुर्लभ कश्यप गिरोह के ड्रेस कोड का खूब पालन करते थे, यह आज भी जारी है।

लड़के किसी भी अपराध को करने से पहले माथे पर तिलक, आंखों में सुरमा, कंधों पर काला गमछा और महाकाल का नाम जपते थे। वह अपराध की दुनिया में इतनी तेजी से बढ़ता गया कि एक दिन ऐसा आया कि उसकी हत्या कर दी गई। आज हम जानेंगे कि छोटी सी उम्र में दुर्लभ कश्यप यह सब कैसे कर पाया और इसका परिणाम क्या रहा।

दुर्लभ कश्यप का जन्म 8 नवंबर 2000 को अब्दालपुरा, जीवाजीगंज, उज्जैन जिले में हुआ था। मां सरकारी टीचर थीं। दुर्लभ अपनी मां के बेहद करीब थे। इसलिए वह अपनी मां के साथ उज्जैन में रहता था। पिता इंदौर में रहते थे। वह उज्जैन में रहकर पढ़ाई कर रहा था। 15 साल की उम्र से ही उसने हथियारों के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट करनी शुरू कर दी थीं। लोगों को धमकाता था। सोशल मीडिया पर अपनी दबंगई का प्रचार करता था।

दुर्लभ ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा था कि वह कुख्यात बदमाश और नामी अपराधी है। उन्होंने अपने पेज पर लिखा- किसी भी तरह के विवाद के निपटारे के लिए संपर्क करें। दुर्लभ कश्यप गिरोह किसी कॉरपोरेट कंपनी की तरह काम करता था। गैंग के इस अंदाज के युवा और किशोर फैन हो रहे थे। उज्जैन शहर में जब गैंगवार बढ़ने लगी तो पुलिस ने उन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया।

27 अक्टूबर 2018 को दुर्लभ को 23 साथियों के साथ पकड़ा गया था। फिर नाबालिग होने पर उसे बाल सुधार गृह में रखा गया। किशोर न्याय बोर्ड ने 24 अप्रैल 2019 को उसे इंदौर भेज दिया। बालिग होने पर पुलिस ने फिर कार्रवाई की। पुलिस के भय से 1 वर्ष से अधिक समय तक भैरवगढ़ जेल (उज्जैन) में रहे।

तब उज्जैन एसपी सचिन अतुलकर हुआ करते थे। जेल में पूछताछ के दौरान उसने दुर्लभ को देखा था और कहा था- तुम जेल में सुरक्षित हो, उम्र से ज्यादा दुश्मनी कर ली, बाहर निकले तो कोई मार डालेगा। 18 साल की उम्र में उनके खिलाफ 9 मामले दर्ज किए गए थे। जेल से भी वह गिरोह को चलाता रहा। 2 साल तक जेल में रहने के बाद 2020 में कोरोना काल में उन्हें रिहा कर दिया गया।

वह कुछ दिन इंदौर में रहे और उज्जैन में अपनी मां के पास लौट आए। जेल से बाहर आने के बाद वह फिर से सक्रिय हो गया। उसके दुश्मनों ने भी उसे मारने की पूरी योजना बना ली थी। 6 सितंबर 2020 की रात 2 बजे उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी।

वह दोस्तों के साथ उज्जैन के हैलावाड़ी इलाके में चाय की दुकान पर पहुंचा था। सामने खड़े शाहनवाज नाम के युवक से कहासुनी होने पर उसने फायरिंग कर दी। गोली युवक की गर्दन के पास से निकल गई थी। शाहनवाज के साथियों ने दुर्लभ को घेर लिया और उसके पेट, पीठ, चेहरे और गर्दन पर चाकू से 34 वार किए। इस दौरान दुर्लभ के दोस्त उसे छोड़कर भाग गए थे। पुलिस को उसका शव खून से लथपथ मिला।